घट्टी पीसने की आवाज मुझे घेरने लगती है
और मैं बैठे-बैठे दूसरी दुनिया में ऊंघने लगता हूं
जब कोई भी मां छिलके उतार कर
चने, मूंगफली या मटर के दाने नन्ही हथेलियों पर रख देती है
तब मेरे हाथ अपनी जगह पर थरथराने लगते हैं
मां ने हर चीज के छिलके उतारे मेरे लिए
देह, आत्मा, आग और पानी तक के छिलके उतारे
और मुझे कभी भूखा नहीं सोने दिया
मैंने धरती पर कविता लिखी है
चंद्रमा को गिटार में बदला है
समुद्र को शेर की तरह आकाश के पिंजरे में खड़ा कर दिया
सूरज पर कभी भी कविता लिख दूंगा
मां पर नहीं लिख सकता कविता!