मुनव्वर राना के मशहूर शेर : बस मां, खफा नहीं होती

मेरी ख्वाहिश है कि मैं फिर से फरिश्ता हो जाऊं, 
मां से इस तरह लिपट जाऊं कि बच्चा हो जाऊं। 
लबों पे उसके कभी बद्दुआ नहीं होती 
बस एक मां है जो मुझसे खफा नहीं होती।
 
अभी जिंदा है मां मेरी मुझे कुछ नहीं होगा
मैं घर से जब निकलता हूं दुआ भी साथ चलती है।
 
कुछ नहीं होगा तो आंचल में छुपा लेगी मुझे
मां कभी सर पे खुली छत नहीं रहने देगी।
 
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकां आई
मैं घर में सबसे छोटा था मेरे हिस्से में मां आई। 

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