मां के लिए कविता : जब वो आंचल में छुपाती है...

हर
हर दर्द की दवा होती है
जब कोई नहीं होता
तब हमदर्द होती है।
 
मेरी नींदों में स्वप्न की तरह
मेरी खुशियों में दुआओं की तरह
चिंता, चिता नहीं बनती
जब वो पास होती है।
 
कुंभकार है वह कोई
आकार दिया मुझे 
ठंडक रहती है कलेजे में
जब वो आंचल में छुपाती है।
 
थककर आती हूं जब मैं
मुस्कान से जोश भर जाती है
आनंदित कर जाती है
जब वो ममता झलकाती है।
 
संवारती है बिखरे तिनकों को
संभालती है जज़्बातों को
दुनिया की इस तपिश में
जब वो शीतल झोंका देती है।
 

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