1. साहस और लक्ष्य : चाणक्य का मानना था कि जीवन में वही व्यक्ति सफल होता है जिसमें साहस है और जो अपने लक्ष्य के प्रति दृढ़ है। साहस के साथ आगे बढ़ने की जरूरत होती है। आपके भीतर का डर जहां आपकी प्रतिभा को नष्ट कर देता है वहीं वह जीवन को भी नष्ट कर देता है। साहस के सात ही आपके लक्ष्य भी निर्धारित रहना चाहिए और लक्ष्य को बदलना नहीं चाहिए। बार बार लक्ष्य को बदलने वाले जीवन में असफल ही हो जाते हैं।
3. संपर्क और संबंधों का विस्तार : चाणक्य ने अपनी विद्वता से मगध के सभी पड़ोसी राज्यों के राजाओं से संपर्क और राज्य में जनता से संबंध बढ़ा लिए थे जिसके चलते उनकी प्रसिद्धि दूर दूर तक फैल गई थी। संपर्क और पर्सनल संबंधों का विस्तार ही आपको जहां लोकप्रिय बनाता है वहीं वह समय पड़ने पर आपके काम भी आते हैं। चाणक्य कहते हैं कि कभी भी किसी को छोटा नहीं समझना चाहिए। यह व्यक्ति आपके लिए महत्वपूर्ण होना चाहिए।
5. टीम वर्क : चाणक्य के खुद की एक टीम बनाकर बाद में भील, आदिवासी और वनवासियों को मिलाकर एक सेना तैयार की और सभी ने टीम बनकर कार्य किया और धननंद के साम्राज्य को उखाड़ फेंककर चंद्रगुप्त को मगथ का सम्राट बना दिया था। कोई भी व्यक्ति अकेला जरूर चलता है परंतु वह अकेला लक्ष्य तक पहुंच नहीं सकता। यह बात आप हमेशा ध्यान रखें कि आपकी सफलता सिर्फ आपकी सफलता नहीं होती है। इसमें कई लोगों का योगदान रहता है जिससे भूलना नहीं चाहिए।