भारत में हर तरह के पहाड़ी इलाके मिल जाएंगे, आपको कहीं विदेश जाने की जरूरत नहीं। यहीं पर स्वीट्जरलैंड और अफ्रीका के नजारे देखे जा सकते हैं, तो साइबेरिया और सहारा के भी। भारत में घुमने और देखने के लिए सब कुछ है। एक और धार्मिक स्थल है, तो दूसरी और प्राकृतिक। एक और रोमांचक स्थल है, तो दूसरी ओर रोमांटिक। आओ इस बार घुमते हैं सबसे सुंदरतम मनोरम घाटियों और पहाड़ियों पर...
हिल स्टेशन को मनोरम पहाड़ी इलाका कहते हैं। भारत में पहाड़ियों की विशालतम, लंबी, सुंदर और अद्भुत श्रृंखलाएं हैं। एक और जहां विध्यांचल, सतपुड़ा की पहाड़ियां है, तो दूसरी ओर आरावली की पहाड़ियां। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक भारत में एक से एक शानदार पहाड़ हैं, पहाड़ों की श्रृंखलाएं हैं और सुंदर एवं मनोरम घाटियां हैं। कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी तक ऐसे कई पहाड़ हैं जिनका धार्मिक और पर्यटनीय महत्व है। भारत में ही विश्व के सबसे प्राचीन और सबसे नए पर्वत विद्यमान हैं। इन पहाड़ों की प्राचीनता और भव्यता देखते ही बनती है।
घुमने-फिरने के शौकिन लोगों के लिए इस बार हम लाएं हैं भारत के ऐसे 10 हिल स्टेशनों की जानकारी, जहां जाकर आपका मन रोमांचित और रोमांटिक हो जाएगा।
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1.लेह (जम्मू और कश्मीर) : भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में स्थित लद्दाख लामाओं और हिन्दु साधुओं की भूमि है। लद्दाख में एक क्षेत्र है जिसे लेह कहा जाता है। प्रकृति की सबसे सुंदर छटा यहां देखी जा सकती है। ट्रैकिंग और रोमांच भरी साहसी यात्रा के शौकिन लोगों के अलावा प्रकृति के प्रति लगाव रखने वाले लोगों के लिए लेह सबसे खूबसूरत जगह है।
जो लोग रोमांचक यात्राओं में यकीन रखते हैं और प्रकृति के सौंदर्य का आनंद उठाना चाहते हैं वे ज्यादातर पर्यटक की तरह श्रीनगर, चंडीगढ़ या दिल्ली से हवाई यात्रा कर सीधे लेह नहीं जाते हैं। सड़क मार्ग से जाना बहुत ही रोमांचकारी अनुभव रहेगा। मनाली से रोहतांग पास होते हुए केलोंग पहला महत्वपूर्ण पड़ाव आता है जहां चारों तरफ पहाडि़यां नजर आती हैं। लेह जाने के लिए सड़क मार्ग से दो रास्ते हैं- एक मनाली से और दूसरा श्रीनगर से। मनाली से लेह तक किसी व्यूह जैसे पांच दर्रे हैं जिसमें एक दर्रे को दुनिया का सबसे ऊंचा दर्रा होने का गौरव प्राप्त है।
यहां ऊंचे-ऊंचे खूबसूरत पहाड़ों, वृक्षों, झरनों और अति सुंदर नदी को देखने के अलावा विजय महल और स्तूप हैं। यहां की शांति और सुंदरता का मुकाबला दुनिया की किसी भी जगह से नहीं किया जा सकता। लेह के आसपास कई मठ हैं। मठ यहां बहुत हैं और हरेक मठ की अलग खूबी है। लेह से सटे उत्तर दिशा में शंकर मठ है। इसमें बौद्ध धर्म के उन इष्ट अवलोकितेश्वर पद्माहरि की आकृतियां हैं जिनके हजार सिर दर्शाए गए हैं। लेह से बीस किमी दूर हेमिस मठ जाने के लिए रास्ते में थिकसे मठ पड़ता है। पहाड़ की चोटी पर बने 12 मंजिला इस मठ से लेह घाटी के दृश्य बेहद सुंदर दिखते हैं।
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2-श्रीनगर (जम्मू और कश्मीर): भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर में स्थित श्रीनगर का नाम सुनते ही डल झील, खूबसूरत ऊंचे-ऊंचे वृक्ष और बर्फ से लदे पहाड़ों का दृश्य हमारी आंखों के सामने से गुजर जाता है। सचमुच श्रीनगर को देखना जन्नत को देखने समान है।
हालांकि यह शहर हाउसबोट, हिस्टॉरिक गार्डेन और घाटियों के लिए प्रसिद्ध है। यहां डल झील और झेलम नदी के किनारे स्थित घाटियां बहुत ही सुंदर और स्वर्ग के समान हैं।
यहां और भी बहुत कुछ देखने लायक है जैसे इंदिरा गांधी ट्यूलिप गार्डेन, शंकराचार्य पहाड़ी, सिंथन चोटी, नागिन झील, बेताब घाटी और सोनमर्ग। श्रीनगर से कुछ दूर एक बहुत पुराना मार्तण्ड (सूर्य) मंदिर है। कुछ और दूर अनन्तनाग जिले में शिव को समर्पित अमरनाथ की गुफा है। श्रीनगर से तीस किलोमीटर दूर मुस्लिम सूफी संत शेख नूरुद्दिन वली की दरगाह चरार-ए-शरीफ है। हजरतबल मस्जिद श्रीनगर में स्थित प्रसिद्ध डल झील के किनारे स्थित है। श्रीनगर जिले के तुल्लामुला में स्थित खीर भवानी मंदिर यहां के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है।
श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग 1ए द्वारा कई प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है। जम्मू से यह 293 किलोमीटर दूर है। देश की राजधानी दिल्ली से 876 किलोमीटर दूर है। श्रीनगर पहुंचने के लिए रेलमार्ग द्वारा जम्मू पहुंचकर जम्मू से नई ट्रेन पकड़कर श्रीनगर पहुंच सकते हैं। श्रीनगर में हवाई अड्डा है। श्रीनगर के लिए दिल्ली, अमृतसर, जम्मू, लेह, चंडीगढ़, अहमदाबाद और मुम्बई से इंडियन एयरलाइंस की उड़ान की जानकारी ले सकते हैं।
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3.शिमला और मनाली हिमांचल प्रदेश : भारत के अधिकतर पर्यटक हिमाचल घुमने जाते हैं। हिमाचल में शिमला और मनाली हनीमून के लिए सबसे प्रसिद्ध स्थल है। यहां घाटी और चारों ओर हिमालय पर्वत की चोटियों का सुंदर दृश्य दिखाई देता है। जरूरी नहीं की आप हनीमून के लिए ही जाएं।
शिमला : मन को सुकून देने वाली हरियाली से घिरे शिमला को सात पहाड़ियों का शहर भी कहा जाता है। गर्मी में भी यहां का अधिकतम तापमान 25 डिग्री के आस-पास रहता है। बर्फ पर स्कीइंग करने वालों के लिए जनवरी से मार्च के मध्य का समय सबसे अच्छा है। फिशिंग व गोल्फ के साथ ही आप यहां आकर ट्रैकिंग का मजा भी ले सकते हैं। शिमला-किन्नौर क्षेत्र में नरकंडा से बंजर और सराहन से सांगला यहां के मशहूर ट्रैक रूट हैं। दोनों ही रूट लगभग सवा तीन किलोमीटर की दूरी के हैं।
यहां घूमने के लिए दि मॉल, तारादेवी मंदिर, समर हिल और शिमला स्टेट म्यूजियम जैसी जगहें हैं। दि मॉल शिमला की शॉपिंग गली है जहां कई रेस्टोरेंट, क्लब, बैंक, बार, पोस्ट ऑफिस और टूरिस्ट ऑफिस हैं।
शिमला की दूरी दिल्ली से बहुत ज्यादा नहीं है। मात्र 345 किलोमीटर दूर है दिल्ली। सड़क मार्ग से कार द्वारा आसानी से पहुंचा जा सकता है। दिल्ली से शिमला के लिए हवाई यात्रा की भी सुविधा है। रेल मार्ग से जाना चाहें तो नैरोगेज लाइन कालका से शिमला तक जाती है।
मनाली : शिमला से मनाली लगभग 275 किलोमीटर दूर है। चारों ओर से पहाड़ों से घिरे मनाली को देखकर रोमांच और रोमांस का अनुभव होता है। एडवेंचरस के शौकिन लोगों के लिए यह बेहतरीन स्पॉट है। यहां आने वाले पर्टकट कस्बे में स्थित गांव में ठहरते हैं और यहां ट्रैकिंग, स्कीइंग और राफ्टिंग का मजा लेते हैं। मनाली से करीब 53 कि.मी. दूर स्थित प्रसिद्ध रोहतांग पास में पर्यटकों को ग्लेशियर, चोटियां और घाटियों के एडवेंचरस और सांसें रोक देने वाले दृश्य दिखाई देते हैं।
मनाली में व्यास नदी, जोगिनी झरना, हडिंबा देवी मंदिर, मनीकरण गुरुद्वारा, सोलांग घाटी, व्यास कुंड, रोहतांग पास और हिमवैली मनाली देखने लायक जगहें हैं।
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4.नैनीताल- उत्तराखंड: नैनीताल इसलिए कहा जाता है क्योंकि यहां नैना देवी का एक मंदिर और प्रसिद्ध ताल है। नैनी शब्द का अर्थ है आंखें और 'ताल' का अर्थ है झील। बर्फ से ढ़के पहाड़ों के बीच झीलों से घिरा नैनीताल उत्तराखंड राज्य का प्रसिद्ध हनीमून स्पॉट है।
यहां आकर आपको शांत और प्रकृति के पास होने जैसा महसूस होगा। नैनीताल झील, नैनादेवी मंदिर, नैना चोटी, गर्वनर हाउस, टिफिन टॉप और पंडित जीबी पंत प्राणी उद्यान यहां के प्रसिद्द स्थल है। शॉपिंग के लिए आप मार्केट मॉलरोड जा सकते हैं।
यहां कि प्रसिद्ध झील नैना झील है जिसे ताल भी कहा जाता है। ताल में बत्तखों के झुंड, रंग-बिरंगी नावें और ऊपर से बहती ठंडी हवा यहां एक अदभुत नजारा पेश करते हैं। ताल का पानी गर्मियों में हरा, बरसात में मटमैला और सर्दियों में हल्का नीला दिखाई देता है।
एनएच 87 रोड़ नैनीताल को पूरे देश से जोड़ता है। नैनीताल में रेल और हवाई सेवाएं नहीं हैं, लेकिन यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन यहां से सिर्फ 34 किमी दूर काठगोदाम में है। काठगोदाम से नैनीताल के लिए राज्य परिवहन की गाड़ियां दिन में हर समय उपलब्ध रहती हैं। यहां से आप टैक्सी कर सकते हैं। यह स्थान दिल्ली से 320 किमी और अल्मोड़ा 68 किमी दूर है।
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5.शिलॉन्ग, मेघालय : मेघालय का अर्थ है बादलों का घर। यहां आकर जीवन की हर चिंता समाप्त हो जाती है। मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग भारत का सबसे खूबसूरत हिल स्टेशन है। इसे पूर्व का स्कॉटलैंड कहा जाता है। शिलॉन्ग में पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा वॉटरफॉल है जिसे देखने दनियाभर से लोग आते हैं। खूबसूरत खासी पहाड़ियों के बीच बसा यह स्थान भारत के प्रसिद्ध ब्लूस मैन, लाउ मैजॉ (सिंगर और गिटारिस्ट) का घर भी है।
शिलॉन्ग में अनेक दर्शनीय स्थल है जैसे एलीफेंटा फॉल, शिलॉन्ग व्यू पॉइंट, लेडी हैदरी पार्क, वार्ड्स लेक, गोल्फ फोर्स, संग्रहालय, कैथोलिक, केथेड्रल, आर्चरी और एंगलीकेन सिमेंटरी चर्च।
चेरापूंजी का स्थानीय और आधिकारिक नाम सोहरा है जो शिलॉन्ग से 56 किलो मीटर की दूरी पर है। यह खासी पहाड़ी के दक्षिणी किनारें पर स्थित एक छोटा सा कस्बा है। चेरापूंजी 12 महीने ही घनी बारिश के कारण विश्व प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। चेरापूंजी के कुछ महत्वपूर्ण पर्यटन स्थल हैं माकडॉक-डिमपेप घाटी का दृश्य जो शिलॉन्ग और चेरापूंजी के बीच स्थित है, सोहरा बाजार और रामकृष्ण का मंदिर, संग्रहालय, नोखालीकाई जल प्रापत, प्रथम प्री साइबेरियन चर्च, वेल्श मिशनरियों की दरगाहें, एंगलिकन सिमेंटरी, इको पार्क डबल डेकर रुट ब्रीज, चेरापूंजी मौसम विज्ञान वेधशाला।
शिलॉग्न से 35 किलोमीटर दूर अमरोही में हवाई अड्डा है। दिल्ली से 1490 किलोमीटर दूर है शिलॉन्ग।
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6.दार्जिलिंग, पश्चिम बंगाल: 'क्वीन ऑफ हिल्स' के नाम से मशहूर दार्जिलिंग हमेशा से एक बेहतरीन हनीमून डेस्टिनेशन रहा है। कभी सिक्किम का हिस्सा रहे इस हिल स्टेशन की सबसे बड़ी खासियत है यहां के चाय बागान। दूर-दूर तक फैले हरी चाय के खेत मानो धरती पर हरी चादर बिछी हो। एक समय दार्जिलिंग अपने मसालों के लिए मशहूर था लेकिन अब चाय के लिए ही ये विश्वस्तर पर जाना जाता है। यहां स्थित प्रत्येक चाय उद्यान का अपना-अपना इतिहास और अपनी खासियत है।
यहां के खूबसूरत और हरे-भरे चाय के बागानों से दुनियाभर में चाय निर्यात की जाती है लेकिन पश्चिम बंगाल के इस शानदार हिल स्टेशन की खूबसूरती सिर्फ इसके चाय बागान नहीं हैं बल्कि यहां की वादियां भी बेहद मनोहारी हैं। बर्फ से ढंके सुंदर पहाड़, देवदार के जंगल, प्राकृतिक सुंदरता, कलकल करते झरने सबका मन मोह लेते हैं। अपनी इसी खूबसूरती के कारण ही इसे 'पहाड़ों की रानी' कहा गया है और इसकी गिनती दुनियाभर के मशहूर और खूबसूरत हिल स्टेशनों में की जाती है।
दार्जिलिंग की सैर शुरू होती है मशहूर टॉय ट्रेन से, जो पहाड़ियों और खूबसूरत वादियों के बीच से होते हुए गुजरती है। इसकी यात्रा के दौरान चाय के बागान, देवदार के जंगल, तीस्ता और रंगीत नदियों के संगम के खूबसूरत नजारे सैलानियों का मन मोह लेते हैं। बतसिया लूप से गुजरते समय ट्रेन यहां वृत्ताकार घूमती है और यात्रियों को 180 डिग्री के विस्तार में पहाड़ियां नजर आती हैं।
दार्जिलिंग की एक ओर मशहूर जगह है टाइगर हिल, जो शहर से लगभग 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यहां से सूर्योदय का अद्भुत नजारा बेहद खूबसूरत दिखाई देता है। यही वजह है कि कंचनजंगा की पहाड़ियों के पीछे से सूर्योदय का सतरंगी नजारा देखने के लिए रोजाना देश-विदेश से आए पर्यटक यहां जुटते हैं। इतना ही नहीं, मौसम साफ रहने पर यहां से विश्व की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट भी दिखाई देती है।
दार्जिलिंग में संजय गांधी जैविक उद्यान भी है, जहां रेड पांडा और ब्लैक बीयर समेत कई दुर्लभ प्रजाति के जानवर, पशु-पक्षी देखे जा सकते हैं। पर्यटक यहां साइबेरियन बाघ और तिब्बतियन भेड़िए को देखने का मजा भी ले सकते हैं। दार्जिलिंग में रंगीन वैली पैसेंजर रोपवे भी है, जो देश का पहला यात्री रोपवे है।
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7- मुन्नार (केरल) : केरल का मुन्नार हिल स्टेशन स्वर्ग के समान है। तीन पर्वतों की श्रृंखला- मुथिरपुझा, नल्लथन्नी और कुंडल, के मिलन स्थल पर स्थित है मुन्नार। इस हिल स्टेशन की पहचान है यहां के विस्तृत भू-भाग में फैली चाय की खेती, औपनिवेशिक बंगले, छोटी नदियां, झरनें और ठंडे मौसम। ट्रैकिंग और माउंटेन बाइकिंग के लिए यह एक शानदार स्थल है।
विशाल चाय बागान और घुमावदार गलियों को देखकर आप रोमांचित हो जाएंगे। चाय के अलावा यह मसालों की खेती और खुशबू के लिए भी जाना जाता है। यहां पर्यटकों के बीच हाउसबोटिंग काफी लोकप्रिय है।
चाय के बगीचे, वॉंन्डरला अम्यूसमेंट पार्क, कोची फोर्ट, गणपति मंदिर और हाउस बोट प्रमुख रोमांच है। मुन्नार से मात्र 15 किलोमीटर दूर इरविकुलम राष्ट्रीय उद्यान लुप्तप्राय प्राणी – नीलगिरी टार के लिए जाना जाता है। 97 वर्ग किमी में फैला यह उद्यान तितलियों, जानवरों और पक्षियों के अनेक दुर्लभ प्रजातियों का बसेरा है। नीलकुरिंजी के फूल खिलने से जब पहाड़ों की ढ़ाल नीली चादर से ढ़क जाती हैं, तब यह उद्यान ग्रीष्मकालीन पर्यटन स्थल बन जाता है। यह पौधा पश्चिमी घाट के इस भाग का स्थानीय पौधा है जिसपर बारह वर्षों में एक बार फूल खिलता है। अंतिम बार यह 2006 में खिला था।
इसके अलावा यहां आनामुड़ी शिखर, खूबसूरत झील के लिए माट्टूपेट्टी, प्राकृतिक सुंदरता से भरपूर पल्लिवासल, झरनों के लिए प्रसिद्ध चिन्नकनाल, चाय के बगीचे और खेल के लिए प्रसिद्ध अनयिरंगल, मुन्नार और तमिलनाडु और नीलकुंरिंजी के फूल को देखने के लिए उपयुक्त स्थान टॉप स्टेशन यहां के प्रमुख दर्शनीय स्थल है।
यहां पहुंचने के लिए: निकटतम रेलवे स्टेशन: तेनी (तमिलनाडु), लगभग 60 किमी दूर है जबकि चेंगनचेरी, लगभग 93 किमी दूर। निकटतम हवाईअड्डा: मदुरई (तमिलनाडु) में लगभग 140 किमी दूर है। कोचीन अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डा, लगभग 190 किमी दूर है।
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8 ऊटी (तमिलनाडु): तमिलनाडु का विश्व प्रसिद्ध शहर ऊटी हनीमून के लिए सबसे उपयुक्त स्थान है। इसे पहाड़ों की रानी कहा जाता है। यहां दूर-दूर तक फैली हरियाली, चाय के बागान, तरह-तरह की वनस्पतियां आपको मंत्रमुग्ध कर देगी।
ऊटी में नीलगिरी पर्वतों की श्रृंखलाएं हैं। यहं देखने लायक हैं- दोदाबेट्टा पीक, लैम्ब्स रॉक, कोडानाडू व्यू पाइंट,
बोटनिकल गार्डन्स, अपर भवानी झील, नीलगिरी माउंटेन रेलवे, सेंचुरी एवेलां और ऊटी झील है। ऊटी झील में नौका विहार कीजिए या मछली पकड़ने का शौक भी पूरा कर सकते हैं। इसके अलावा यहां सुंदर कॉटेज, फेंच्ड फूलों के बगीचे, फूस की छत वाले चर्च और खूबसूरत सड़के हैं यहां कुछ किलोमीटर चलते ही आप खुद को हरी-भरी प्रकृति से घिरा हुआ पाएंगे। यहां चीड़ के पेड़ काफी मात्रा में उगाए गए हैं। ऊंटी के आसपास भी देखने लायक बहुत सारे स्थान हैं।
कैसे जाएं:- मेत्तूपलयम बड़ी लाइन का रेलवे स्टेशन है। बड़ी लाइन का प्रमुख रेल जंक्शन कोयंबटूर है, जो कि सभी बड़े नगरों से मिला हुआ है। यहां से सबसे नजदीक हवाई अड्डा कोयंबटूर है, जो कि 100 किलोमीटर दूर है। आप चेन्नई, कोजीकोडे, बंगलोर और मुंबई से कोयंबटूर के लिए सीधी उड़ान भर सकते हैं। डेक्कन पार्क रिजॉर्ट, होटल वेलबैक रेजीडेंसी, होटल लेक व्यू, होटल ऊटी आदि जगह आप ठहर सकते हैं।
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9.कुनूर (तमिलनाडु) : यदि आप ऊटी पहुंच ही गए हैं तो कुनूर घुमने में कोई बुराई नहीं। यह ऊटी से कुछ ही दूरी पर स्थित है। कम क्षेत्रफल में कुनूर नीलगिरी पर्वत पर बसा हुआ है एक छोटा से कस्बा है जो चारों ओर से इसकी घुमावदार पहाड़ियां, चाय और कॉफी के बागानों से घिरा हुआ है।
यहां कुनूर से ऊटी तक टॉय ट्रेन चलती है, जो पर्यटकों के सुविधाजनक और मनोरंजक है। कुनूर से ऊटी के बीच ट्रेन यात्रा में वेलिंगटन के कैंटोमेंट एरिया के साथ बेहद खूबसूरत दृश्य देखे जा सकते हैं।
यहां देखने लायक स्थलों में हेरिटेज ट्रेन, सिम पार्क, वेलिंग्टन गोल्फ कोर्स, डॉल्फिन नोस, हाईफील्ड टी फैक्ट्री, लैंब रॉक और ड्रूग किला प्रमुख है।
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10- माऊंट आबू (राजस्थान): माउंट आबू राजस्थान में अरावली पर्वत पर बसा अनोखा स्थल है। यहां एक और प्रकृतिक सुंदरता है तो दूसरी ओर आध्यात्मिक शांति। पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वही स्थल है, जहां महान ऋषि वशिष्ठ रहा करते थे। इसे ऋषियों-मुनियों का आवास स्थल माना जाता है।
माऊंट आबू में पहाड़ों और जंगलों के देखने के अलाव गुरु शिखर, रघुनाथ मंदिर, गोमुख मंदिर, अधर देवी मंदिर, दिलवरा जैन मंदिर, सूर्यास्त स्थल (सनसेट पॉइंट), ब्रह्म कुमारी शांति पार्क, हनीमून पॉइंट, घने जंगलों वाला ट्रेवोर्स टैंक आदि स्थल देखने लायक हैं।
रेलमार्ग से माउंट आबू के निकट आबू रोड स्टेशन पर पर्यटक पहुंच सकते हैं। जयपुर, उदयपुर, दिल्ली, अजमेर से बस पर्यटकों को सीधे माउंट आबू पहुंचाती है। माउंट आबू सड़क मार्ग से जुड़ा हुआ है। यह नेशनल हाइवे नंबर 8 और 14 के नजदीक है। एक छोटी सड़क इस शहर को नेशनल हाइवे नंबर 8 से जोड़ती है। यदि आप दिल्ली में हैं तो दिल्ली के कश्मीरी गेट बस अड्डे से माउंट आबू के लिए सीधी बस सेवा है।