मध्यप्रदेश में चौथी बार सरकार बनाने के भाजपा के दावे को संघ के सर्वे ने बड़ा झटका दिया है। सूत्र बताते हैं कि संघ ने जो सर्वे कराया है उसके अनुसार पार्टी में जमीनी स्तर पर समन्वय में भारी कमी देखी गई है, वहीं संघ के सर्वे में करीब एक तिहाई मौजूदा विधायकों और कुछ मंत्रियों की रिपोर्ट निगेटिव आई है।
संघ के सर्वे में मालवा और महाकौशल में पार्टी की हालत खराब पाई गई है। इसके साथ ही संघ ने कई मंत्रियों और विधायकों की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठाए हैं। संघ के इस सर्वे के बाद भाजपा में हड़कंप मच गया है। पिछले दिनों भोपाल आए पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह संघ के कार्यालय 'समिधा' पहुंचकर संघ के नेताओं से पार्टी की जमीनी तैयारियों और पार्टी की मौजूदा स्थिति का फीडबैक लिया था। बैठक में शाह ने संघ के नेताओं से सक्रिय होने का अनुरोध भी किया था।
शाह के दौरे के बाद सक्रिय हुए संघ के कार्यालय में मैराथन बैठकों का दौर भी शुरू हो गया है। एक तरह से संघ ने चुनावी कमान अब अपने हाथ में लेते हुए भाजपा के बड़े नेताओं के साथ लंबी बैठक की। संघ के वरिष्ठ नेता अरुण जैन और दीपक विस्पुते ने पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष राकेशसिंह और संगठन महामंत्री सुहास भगत से अब तक की चुनाव तैयारियों की रिपोर्ट ली है।
'समिधा' में कई घंटे चली बैठक में चुनाव की रणनीति को लेकर मंथन हुआ। बैठक में ये तय हुआ कि बूथ स्तर पर और मजबूती के लिए संघ के दो कार्यकर्ता हर बूथ पर तैनात होंगे, जो पार्टी के साथ बूथों पर समन्वय का काम करेंगे। बैठक में संघ के नेताओं ने मंत्री और विधायकों के व्यवहार और कार्यकर्ताओं की उपेक्षा का मुद्दा भी उठाया।
संघ नेताओं ने इस बात पर नाराजगी जाहिर की कि लोग मुख्यमंत्री शिवराजसिंह के कामकाज से तो खुश हैं, लेकिन स्थानीय नेताओं को लेकर उनमें खासी नाराजगी है। बैठक में एट्रोसिटी एक्ट को लेकर प्रदेश में बने नए सियासी माहौल को लेकर भी चर्चा हुई। दूसरी ओर संघ ने पार्टी के वरिष्ठ नेताओं से सभी विधानसभा सीटों की अलग-अलग रिपोर्ट भी मांगी है।