एससी एसटी एक्ट और सवर्णों का विरोध, मध्यप्रदेश चुनाव से पहले प्रदेश सरकार की गले की फांस बनता नजर आ रहा है। आने वाले चुनावों और वोट बैंक पर इसका असर न हो, इस बात का डर दोनों ही पार्टियों को सता रहा
राजनीतिक गलियारों में सवर्ण और पिछड़ों के विरोध के चलते वोटों की चिंता छाई हुई है। इसका एक बड़ा कारण यह भी है सवर्ण और पिछड़ा, दोनों ही वर्ग सीधे तौर पर 148 सीटों को प्रभावित करते हैं। पिछले यानी 2013 के चुनावों में भी सवर्ण ओबीसी के 148 में से 102 सीटें भाजपा ने जीती थीं। ये आंकड़ा बहुमत से सिर्फ 14 कम था।
ऐसे में जिस वर्ग ने पिछले चुनावों में 102 सीटें भाजपा को दिलाई थीं, उसका इस बार विद्रोही हो जाना भाजपा के लिए बड़ी चुनौती है। अगर हालात ऐसे ही रहे तो भाजपा तो 200 पार का नारा, ध्वस्त हो सकता है। हालांकि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने एससीएसटी एक्ट का दुरुपयोग न किए जाने वाला जो ऐलान किया है उसके बावजूद भी भाजपा की जीत या 200 पार का नारा से दूर की कौड़ी सा ही है।