लगता है सरकार के रणनीतिकारों ने विपक्ष के साथ अंदर ही अंदर काफी बातचीत की, उन्हें मनाने का प्रयास किया और उसमें एक हद तक सफलता मिली। सरकार का तर्क यही था कि अध्यक्ष पद को राजनीति से दूर रखने के लिए ओम बिरला का निर्वाचन सर्वसम्मति से होना चाहिए। इसमें सरकारी पक्ष सफल नहीं हुआ लेकिन कम से कम मत विभाजन नहीं हुआ यह भी आज की स्थिति को देखते हुए बड़ी बात है। दूसरे, ओम बिरला के निर्वाचन के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उन्हें बधाई देने गए तो विपक्ष के नेता के रूप में राहुल गांधी भी आए और प्रधानमंत्री ने स्वयं उन्हें अपने हाथ से आगे आने का इशारा किया। फिर परंपरा के अनुरूप सदन के नेता एवं विपक्ष के नेता तथा साथ में संसदीय कार्य मंत्री किरण रिजिजू उन्हें आसान तक ले गए।