उनके अद्भुत प्रेम की पराकाष्ठा ही है कि आज एक बहू उनके लिए इस लेखन की पूजा थाली को अक्षरों की आरती से सजा कर, अपनी भक्ति के प्रेम पुष्पों से, आभार का कंकू, स्मृतियों का महकता हुआ चन्दन, और दिल में जाने-अनजाने में हुई गलतियों की माफ़ी का अक्षत सजा कर, दिशाबोध की धूप और अपने जीवनकाल के सम्पूर्ण पुण्यों का मां के श्रीचरणों में प्रणाम के साथ नैवेद्य सजाए, जीवन यात्रा की उनकी दी हुई शिक्षाओं के मंत्रों के साथ इस पावन पुण्य नवरात्रि की अष्टमी पर अष्टादश भुज मां (सासू मां) का पूजन कर रही है।