अहिल्या पथ के अनुगामी प्रदेश के मोहन

शुक्रवार, 24 जनवरी 2025 (16:37 IST)
आलोक एम इन्दौरिया 
पुण्यश्लोक लोकमाता श्रीमंत अहिल्या बाई होलकर मराठा साम्राज्य की वह महान शख्सियत थीं जिन्होंने अपने कुशल प्रबंधन, प्रशासन सामाजिक और आर्थिक सुधार के साथ-साथ धार्मिक सहिष्णुता के लिए भी इतिहास में अपना वो नाम दर्ज कराया जिसका उल्लेख आज 300 साल के बाद भी बड़े ही श्रद्धा और सम्मान के साथ लिया जाता है। प्रजातंत्र की वर्तमान व्यवस्था में विसराये जा चुके और भूतपूर्व हो चुके राजतंत्र की व्यवस्था में आज भी यदि किसी का नाम सम्मान के साथ लिया जाता है तो वह सिर्फ एक नाम है अहिल्याबाई होलकर। उन्होंने जिस तरह से शासन व्यवस्था देने का प्रयास किया जिसके चलते जो सामाजिक ताना-बाना बुना गया शायद ऐसा ही प्रयास मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव कर रहे हैं और इसीलिए उन्हें कहा जाता है ..अहिल्याबाई के पथ का अनुगामी...
 
तत्कालीन हिंदुस्तान में लगभग 300 वर्ष पूर्व मालवांचल में अहिल्याबाई होल्कर का शासन था। एक अच्छी प्रशासक के साथ-साथ बेहद न्याय प्रिय अहिल्याबाई होल्कर ने शासन में नवाचार और उत्कृष्टता के जो प्रतिमान गढ़े समकालीन इतिहास के किसी भी राजा के शासनकाल में ऐसा देखने में नहीं आया। शायद उनका शानदार प्रशासन, न्याय प्रियता और सनातन के प्रति उनकी दृढ़ आस्था ने ही उनको इस कालखंड में भी विस्मृति नहीं होने दिया । संयुक्त भारत में राजशाही के समय 400 से भी अधिक राजा महाराजा हुआ करते थे लेकिन जो सम्मान इस आधुनिक काल काल खण्ड मे अहिल्याबाई होल्कर को मिलता है वह किसी अन्य राजा या महाराज को नसीब नहीं है बेशक राजस्व और सीमा क्षेत्र के मामले में उनका राज्य कितना भी बड़ा रहा हो।
अहिल्याबाई का राजमाता से लोकमाता बनने तक का सफर बेहद संघर्ष  पूर्ण रहा लेकिन उन्होंने जिस तरह मालवा का शासन किया वह न केवल अविस्मरणीय है बल्कि उस शासन की दुहाई आज भी दी जाती है। उन्होंने किसानों, व्यापारियों और सामान्य जनता की समस्याओं को प्राथमिकता दी और एक कुशल राजस्व प्रणाली बनाई जो मुख्य रूप से किसानों के हित पर केंद्र थी। उन्होंने सुनिश्चित किया  कि किसानों को उनकी फसल का उचित दान मिले। उन्होंने महिला सशक्तिकरण को न केवल प्रमोट किया बल्कि विधवा विवाह को भी प्रोत्साहित किया जहां तत्समय बंगाल और अन्य कई जगह सती प्रथा के नाम पर विधवा को जला दिया जाता था वहीं विधवा विवाह को प्रमोट करना दुस्साहस ही था। एक बहुत महत्वपूर्ण कार्य जिसने अहिल्याबाई को अमर कर दिया वह था मंदिर, घाट ,जलाशय  और धर्मशालाओं का निर्माण। उन्होंने बनारस, अयोध्या ,सोमनाथ ,काशी, हरिद्वार ,द्वारिका, \बद्रीनाथ , केदारनाथ जैसे धार्मिक स्थलों का कायाकल्प किया। उन्होंने कई हिंदू मंदिरों का निर्माण कराया जो आज भी जीवंत है।

अहिल्याबाई की सबसे बड़ी खासियत थी कि उन्होंने एक मजबूत और सुदृढ़ सैना को अपने साथ रखा लेकिन पूरे जीवन उन्होंने कभी कोई युद्ध नहीं लड़ा‌। एक अच्छे सैना रखने का मुख्य कारण राज्य की आंतरिक सुरक्षा और शांति बनाए रखना था। एक नवाचार जो उन्होंने किया वह यह था कि उन्होंने दरबार प्रणाली प्रारंभ की जिसमें सभी वर्गों के लोग अपनी समस्याओं और शिकायतों को सीधे अहिल्याबाई के सामने रख सकते थे जहां उनका त्वरित निदान किया जाता था।यानि क्विक डिसीजन आन द स्पॉट। अहिल्याबाई ने जो सबसे बड़ा काम मालवा मे किया वह यह कि  की उन्होंने अपने शासनकाल में मालवा को न केवल प्रमुख व्यापारिक केंद्र बनाया बल्कि व्यापारियों को विशेष सुविधाएं प्रदान की। उनके शासनकाल में व्यापार और उद्योग को जबरदस्त बढ़ावा मिला और शायद यही कारण है की उनके शासन  का मुख्य केंद्र इंदौर आज मुंबई के बाद व्यापार के क्षेत्र में देश में दूसरा स्थान रखता है। देवी अहिल्या न केवल एक कुशल शासक थीं बल्कि  आध्यात्मिक रूप से भी बेहद समृद्ध भी थीं। उन्होंने एक राजा होने के बाद भी साधारण जीवन जिया और अपने राज्य के संसाधनों का उपयोग सिर्फ और सिर्फ जनता की भलाई के लिए किया।
यदि हम गौर से देखें तो ज्ञात होगा की मध्य प्रदेश की मोहन सरकार की कार्यप्रणाली मैं देवी अहिल्या की शासन की झलक स्पष्ट दिखाई देगी जिसमें न्याय,जन सेवा और धार्मिक सहिष्णुता परिलक्षित होती है। इसका कारण शायद यह है कि कहीं ना कहीं सरकार के मुखिया मोहन यादव मालवा क्षेत्र से आते हैं और जाहिर सी बात है की मालवा का नागरिक अहिल्याबाई से आज भी बहुत गहरे प्रभावित है। क्योंकि देवी अहिल्या मालवा की रग रग में आज भी समायी हुई है।

वर्तमान सरकार ने ग्रामीण विकास, गरीबों की सहायता, महिलाओं के उत्थान,किसानों की भलाई जैसी तमाम योजनाएं लागू की है। इस प्रदेश की रीड की हड्डी किसान और किसानी है और ठीक अहिल्याबाई की तरह एमवाई सरकार ने किसानों का विशेष ध्यान रखा है ।सिंचाई योजना, फसल बीमा योजना, उन्नत कृषि और हॉर्टिकल्चर पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है वही राजस्व संबंधी मामलों के निपटारे के लिए प्रत्येक जिले के कलेक्टर को डेडलाइन दी है ताकि किसानों के खरे खतौनी जैसे काम न केवल अपडेट हो बल्कि दुरुस्त भी किया जाए। केन बेतवा परियोजना के माध्यम से लाखों एकड़ भूमि को सिंचित करने की जो काम प्रधानमंत्री के प्रयासों से एम वाई सरकार ने मध्यप्रदेश में किया है अगले 5 साल के भीतर उसके जो परिणाम आएंगे वह कल्पना से परे है। जन स्वास्थ्य के लिये आयुष्मान कार्ड के साथ कई योजनाएं एमवाई सरकार ने प्रारंभ की है जिनके माध्यम से समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति को ऑपरेशन से लेकर इलाज तक की जो सुविधा मध्य प्रदेश में दी जा रही है वह अनुकरणीय। 

महिला सशक्तिकरण के लिए एम वाई सरकार ने वाकई में बहुत ठोस प्रयास किए हैं जिसके चलते स्वस्थ सहायता समूह के माध्यम से महिलाओं को सशक्तिकरण और स्वरोजगार से जोड़ने का अनुकरणीय प्रयास किया है। इसी कड़ी में अडानी के सहयोग से शिवपुरी जिले में बदरवास क्षेत्र में चल रहे कपड़े की जैकेट के व्यवसाय के क्षेत्र में क्रांतिकारी परिवर्तन आने वाला है क्योंकि महिलाओं का बहुत बड़ा समूह इसके माध्यम से स्वरोजगार से जुड़ने वाला है। समाज के अंतिम छोर के व्यक्ति पर मोहन यादव का विशेष ध्यान है जिसके चलते उन आदिवासी भाईयों के उत्थान का विशेष प्रयास मोहन सरकार ने  किया है प्रधानमंत्री जन आवास के क्षेत्र में। मध्य प्रदेश के शिवपुरी जिला देश का वह पहला जिला है जहां आदिवासीयों के लिए प्रधानमंत्री जन मन आवास योजना के तहत सुव्यवस्थित और विकसित कॉलोनी न केवल तैयार की गई है बल्कि मध्य प्रदेश के महामहिम राज्यपाल मंगू जी  भाई पटेल ने आदिवासियों के गृह प्रवेश में भी सहभागिता की है। राष्ट्रीय स्तर पर मोहन यादव के इस प्रयास को न केवल सराहना मिली है बल्कि अन्य राज्य भी अब शिवपुरी पैटर्न की ओर प्रधानमंत्री जन आवास योजना के लिए बढ़ रहे हैं और इसके लिए शिवपुरी जिला कलेक्टर और रविंद्र चौधरी यकीनन बधाई के पात्र हैं जिन्होंने इस योजना का क्रियान्वयन नियत समय से बहुत पहले ही करके मध्य प्रदेश की धाक सारे देश में बना दी। पर्यटन के क्षेत्र में भी एम वाई सरकार ने जबरदस्त काम किया है और कूनो पालपुर अभ्यारण में चीतों का आना और उनके कुनबे का बढ़ना इस क्षेत्र में पर्यटन की नई सुविधाओं का आगाज करेगी।

अहिल्याबाई की तरह ऐसा कोई क्षेत्र नहीं है जहां 1 साल के अल्पकाल में मोहन यादव में काम न किया हो। धार्मिक क्षेत्र में महाकाल लोक की तरह चित्रकूट, पीतांबरा पीठ जैसी कई धार्मिक जगह को अहिल्याबाई के पैटर्न पर न केवल विकसित किया जा रहा है बल्कि उन्हें भव्य रूप प्रदान करने की योजना पर भी काम चल रहा है। सबसे बड़ा काम जो मोहन यादव सरकार ने किया वह की मध्य प्रदेश को देश में औद्योगीकरण के लिए निवेश का सबसे बड़ा केंद्र बना दिया। यह मोहन यादव का ही प्रयास है की मध्य प्रदेश के हर संभाग में इंडस्ट्रियल कॉन्क्लेव करके उन्होंने दो लाख करोड रुपए से ऊपर का निवेश न केवल आमंत्रित किया बल्कि इससे जुड़े रोजगार के लाखों अवसरों को भी जन्म देने का प्रयास किया। यानी जिस तरह अहिल्याबाई ने बिना अपनी सीमाओं का विस्तार किया उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में मालवा को नई ऊंचाई प्रदान की ठीक इसी तरह मोहन यादव ने उद्योग और व्यापार के क्षेत्र में मध्य प्रदेश को बहुत ऊंचाइयों पर ले जाने का प्रयास किया है।  मोहन यादव सरकार के ऐसे तमाम काम है जिसकी फहरिस्त बहुत लंबी है।
 
मोहन यादव की सरकार ने लोकमाता देवी अहिल्याबाई की 300 भी जयंती पर महेश्वर में डेस्टिनेशन कैबिनेट का आयोजन करके उनके प्रति अपने समर्पण को दर्शित किया है। इस प्रदेश में स्वतंत्रता के बाद कई सरकारें आईं और गईं ,लोकमाता अहिल्याबाई तब भी थीं और आज भी है, लेकिन मोहन यादव सरकार ने उन्हें जिस तरह याद करने की कोशिश की है,आम जनता तक उनका संदेश पहुंचने का प्रयास किया है वह हमेशा याद रखा जाएगा। डेस्टिनेशन कैबिनेट का महेश्वर में आयोजन अहिल्याबाई के प्रति मोहन यादव सरकार की इस प्रदेश की ओर से सच्ची कृतज्ञता है क्योंकि मालवा ही नहीं पूरा प्रदेश अहिल्याबाई के जन कल्याण  कारी कामों के कारण उनका रिणी रहा है।  मोहन सरकार ने महेश्वर में उन्हें याद कर के यह बता और जता दिया है कि वे और उनकी सरकार न केवल अपने शासन प्रशासन में देवी अहिल्याबाई को समाहित करके चलती है बल्कि एक तरह से अहिल्याबाई के लोक कल्याण कारी कार्यों को ही आगे बढ़ाने का काम कर रही है। यकीनन  मोहन यादव को इसके लिए हमेशा याद रखा जाएगा।
(लेखक मध्य प्रदेश के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक है)

वेबदुनिया पर पढ़ें

सम्बंधित जानकारी