डिजिटल दौर में ई-पुस्तकों का नया चलन

पहले जब युवा और उत्साही फ़िल्मकार या सिंगर, डांसर, मिमिक्री आर्टिस्ट आदि इंडस्ट्री में काम करना चाहते थे तो वे मुंबई नगरी में चप्पलें घिसते थे। ऐसा नहीं है कि अब उन्हें ऐसा नहीं करना पड़ता, लेकिन अब उनके सामने दूसरे विकल्प भी हैं। मसलन, वे यूट्यूब पर वीडियो अपलोड करके अपने लिए ऑडियंस जुटा सकते हैं। वे फ़ेसबुक और इंस्टाग्राम पर ख़ुद को प्रमोट कर सकते हैं।
यूट्यूब पर जिस अंदाज़ में कोलावेरी डी वायरल हुआ था, वह सभी को याद होगा। परंपरागत माध्यम में इस गीत को हिट कराने में ऐड़ी चोट का ज़ोर लगाना पड़ सकता था। कुछ ऐसी कल्ट फ़िल्में हैं, जो यूं तो कभी थिएटरों में रिलीज़ नहीं हुईं, लेकिन यूट्यूब पर हिट हैं। जैसे कि अनुराग कश्यप की "पांच"। या कमल स्वरूप की "ओमदरबदर", जिसे कि यूट्यूब पर कल्ट हैसियत प्राप्त है। आज ऐसे जाने कितने यूट्यूब चैनल्स हैं, जिनके माध्यम से युवा अपनी प्रतिभा का मुज़ाहिरा कर रहे हैं। 
 
ऐसे में ज़ाहिर है कि जब इंटरटेनमेंट और इंफ़ॉर्मेशन डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर जा सकते हैं तो लिट्रेचर क्यों नहीं?
 
लिहाज़ा, जैसे यूट्यूब पर वीडियो अपलोड किए जाते हैं, फ़ेसबुक पर लाइव किए जाते हैं, ब्लॉगर पर ब्लॉग बनाए जाते हैं, वैसे ही अब अमेज़ॉन पर किताबें भी पब्ल‍िश की जा रही हैं। 
 
ये किताबें किंडल फ़ॉर्म में होती हैं। किंडल गैजेट ना भी हो तो भी किंडल एप से इन्हें पढ़ा जा सकता है। इन किताबों की दरें भी बहुत कम होती हैं। और चूंकि ये डिजिटल किताबें होती हैं, इसलिए फ़िज़िकल रूप से उन्हें सहेजने के लिए स्पेस की भी ज़रूरत नहीं होती।
जापान के प्रसिद्ध उपन्यासकार हारुकि मुराकामी इन्हीं कारणों से अपनी किताबें किश्तों में और पॉकेट साइज़ में छपवाने का आग्रह करते रहे हैं, ताकि उन्हें मोबाइल रूप से भी पढ़ा जा सके। और पाउलो कोएल्हो जैसे बेस्टसेलिंग राइटर ने तो अपनी कई किताबें ई-बुक के रूप में भी लॉन्च की हैं। ये भी लेखक आने वाले कल की ज़रूरतों से परिचित हैं।
 
आने वाला वक़्त इस डिजिटल लिट्रेचर का ही है। यह तकनीक प्रकाशन उद्योग में व्याप्त पक्षपात और वर्चस्व को भी समाप्त कर देती है। यह संपादकों और प्रकाशकों को दरकिनार कर लेखक और पाठक के बीच सीधा संबंध स्थापित करती है। पहले जहां किताबों के डायमेंशंस के संबंध में उनके आकार-प्रकार, वज़न आदि के बारे में पूछताछ की जाती थी, वहीं अब किताबों के केबी साइज़ के बारे में पूछा जाता है। आपके फ़ोन की मेमोरी के आधार पर आप एक पूरी डिजिटल लाइब्रेरी भी बना सकते हैं, क्योंकि ये ई-किताबें हमेशा कुछ सौ किलोबाइट्स की ही होती हैं, ज़्यादा की नहीं।
 
दिल्ली, मुंबई, बंगलुरू, हैदराबाद जैसे बड़े शहरों में ई-पुस्तकों का प्रकाशन पहले ही लोकप्रिय हो चुका है, अब बारी मध्यप्रदेश की है। और इस दिशा में सराहनीय पहल की है देवास ज़िले की बागली तहसील के दीपक व्यास ने। दीपक ने हाल ही में अंग्रेज़ी में एक उपन्यास लिखा है और उसे अमेज़ॉन पर किंडल फ़ॉर्म में पब्ल‍िश करवाया है। कह सकते हैं कि यह पहल आने वाले दिनों में मध्यप्रदेश में भी ट्रेंडसेटर साबित हो सकती है।
 
दीपक व्यास मॉडलिंग फ़ोटोग्राफ़र बनना चाहते थे, किंतु अंग्रेज़ी अच्छी नहीं होने के कारण मुंबई नहीं जा सके। फिर उन्होंने अंग्रेज़ी में सिद्धहस्त होने की ठानी और अब वे ना केवल अंग्रेज़ी पढ़ाते हैं, बल्कि उन्होंने अपना पहला उपन्यास भी अंग्रेज़ी में ही लिखा है। युवाओं में प्रेम संबंधों के बाद उपजने वाली निराशा और आत्महत्या की घटनाओं पर केंद्रित उनके इस उपन्यास का शीर्षक "लव एंड रिलेशनशिप : फ़ेल्योर इज़ द न्यू सक्सेस" है। और इसे अमेज़ॉन से ख़रीदकर पढ़ा जा सकता है।
 
दीपक व्यास ने अपना यह उपन्यास लिखने के बाद अनेक प्रकाशकों को भिजवाया था, लेकिन कोई भी उसे छापने को तैयार नहीं हुआ। फिर उन्हें अमेज़ॉन के पब्ल‍िशिंग प्लेटफ़ॉर्म "केडीपी" के बारे में पता चला और अब उनकी किताब अमेज़ॉन से प्रकाशित है। कहना ना होगा कि दीपक व्यास की यह यात्रा अनेक ऐसे युवाओं का पथ प्रशस्त कर सकती है, जो एक लेखक के रूप में कुछ कर दिखाना चाहते हैं।

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