समाचार देख सुनकर इससे ज्यादा प्रसन्नता पहले कभी नहीं हुई..। रुपहले पर्दे पर स्त्री के शीलभंग करने वाले खलनायक को जब हीरो मारता है तो ये नाटक है,जानते हुए भी दिल को सूकून मिलता है..। तो ये तो वास्तविकता थी कि जीती जागती मासूम दिशा को दो बार कत्ल किया गया...। उसके हत्यारों का इनकाउंटर करके जो सजा पुलिस ने दी है वह तारीफे काबिल है..।
वर्दीधारी सचमुच वर्दी के हकदार हैं व असली हीरो भी..।
भले ही कोई ऐसे एनकाउंटर पर ऊंगली उठाए...पर अब लगता है ऐसे हैवानों को त्वरित सजा देने का यही तरीका सही है..। वरना तो केस चलते रहते हैं, और पीड़िता के परिजन भी कितनी ही यंत्रणाओं से गुज़रते हैं..। निश्चित ही ऐसे 5-7 एनकाउंटर लगातार हो जाए तो ऐसे भयावह अपराधों मे कमी आएगी...।
हम सब जान रहे हैं कि एनकाउंटर का सच क्या होगा...
पर मलमल के पर्दे मे छिपा ये सच आज बहुत अच्छा लग रहा है...
अस्मिता और अस्मत, दोनों के हत्यारे छूट रहे थे...
कोर्ट कचहरी के चक्कर में ..
अपनों के दम टूट रहे थे...
अब हमला ना होगा ..बेटियों की अस्मत और धड़क पर...
आओ लें वर्दी की सौगंध...अब होगा इंसाफ सड़क पर...