बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और छत्तीसगढ़ के लाखों लोग मध्य भारत के हरियाणा, पंजाब, दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्रों में रोजगार की तलाश में आते हैं। इनमें से कुछ लोग यहां की छोटे-बड़े कारखानों में नौकरी कर लेते हैं, तो कुछ अपना कोई छोटा-मोटा धंधा कर लेते हैं। कोई रिक्शा चलाता है, कोई फल-सब्जी बेचता है, तो कोई मजदूरी करने लगता है। इन सभी का बस एक ही मकसद होता है कि कुछ पैसे कमाकर अपने घर को भेज दिए जाएं। अफसोस की बात है कि ज्यादातर बाहरी मजदूरों के पास रहने का ठिकाना तक नहीं है।