- शुचि कर्णिक
आज जगजीत जी को हमसे बिछड़े लगभग एक दशक हो गया है पर वो मखमली आवाज आज भी हमारे खजाने का कोहिनूर है। कोई कैसे भूल सकता है उस जिंदादिल शख्स को जिसकी निरागस आंखें, सदाकत चेहरा और पुरकशिश आवाज आज भी जीवंत हैं।
जगजीत एक रूहानी आवाज जो हमारी जिंदगी को एक मखमली एहसास से नवाजती है, जो हमारी सुबह को रोशन और शाम को ज्यादा खूबसूरत बनाती है। इस एक आवाज के जादू ने सारी दुनिया को अपना दीवाना बना रखा है। मैं हर रात एक ख्वाब सिरहाने रखकर सोई, हर सुबह उम्मीद की रोशनी में नहाई पर वो घड़ी कभी न आई कि जब मैं इस सदाकत आवाज के मालिक फनकार से रुबरू हो पाती।
और फिर एक दिन अचानक इस दुनिया को बनाने वाले बड़े फनकार को जन्नत में कुछ अधूरापन सा महसूस हुआ और वो हमसे इस दिलफरेब, पुरखुलुस, नूरानी आवाज को हमेशा के लिए ले गया, खुद को और अमीर कर लिया और हम गा रहे हैं, सदमा तो है मुझे भी कि तुझसे जुदा हूं मैं।