लंदन में आतंकवादी हमला !

ब्रिटेन में संसद के पास आतंकवादी हमले या संसद पर हमले की कोशिश ने एक बार फिर दुनिया का ध्यान आतंकवाद के नए तरीके की ओर खींचा है। यह ऐसा हमला था, जिसके लिए हमलावर को न कोई समूह बनाने की जरुरत थी, न किसी बड़े विनाशक हथियार की। हमलावर ने अपनी कार को ही हमले का हथियार बना दिया।

संसद से थोड़ी ही दूर पर स्थित वेस्टमिंस्टर पुल पर पैदल चल रहे लोगों को अचानक कार से कुचलना शुरू कर दिया। आप कल्पना करिए किसी सड़क पर पैदल चल रहे हों और कोई कार आपको आपके साथ चल रहे लोगों को कुचलता चला जाए तो कैसा दृश्य होगा। कहा जा रहा है कि उसने पूरा कारनामा केवल तीन मिनट में किया। वेस्टमिंस्टर पुल से लेकर हाउस ऑफ कॉमंस के प्रवेश द्वार तक पहुंचने में हमलावर को करीब तीन मिनट लगे। बाद में उसकी कार रेलिंग से टकरा गई तो वह चाकू लेकर हाउस ऑफ कॉमंस की ओर बढ़ गया और वहां खड़े एक पुलिस वाले पर हमला कर दिया। बाद में हमलावर भी मारा गया। 
 
चूंकि हमले में केवल पांच लोग मारे गए इसलिए कई लोगों को यह सामान्य हमला लग सकता है, किंतु यह मात्र संयोग है। किसी भीड़ भरे इलाके में यदि इस तरह कोई वाहन से लोगोंको कुचलने लगे, तो न जाने कितने लोग उसके शिकार हो जाएंगे। हमलावर का इरादा भी ज्यादा से ज्यादा लोगों को कुचलते हुए संसद में घुस जाने का रहा होगा। दूसरे, ब्रिटिश संसद के पास और उसके प्रवेश द्वार पर हमले का प्रतीकात्मक अर्थ भी है। घटना के समय संसद की कार्यवाही चल रही थी और उसमें 200 सांसद उपस्थित थे। स्वाभाविक था कि हमले के बाद संसद को तत्काल स्थगित कर दिया गया।
 
याद कीजि‍ए, ऐसा ही हमला पिछले वर्ष 14 जुलाई को फ्रांस के नीस शहर में हुआ था। लोग फ्रांसीसी क्रांति के दौरान बास्तिल के पतन का जश्न मना रहे थे और एक ट्रक लिए आतंकवादी भीड़ में घुसा तथा लोगों को कुचलता चला गया। इसमें 90 लोगों की जान चली गई। उस दर्दनाक घटना ने पूरी दुनिया को यह बताया कि आतंकवादी हमले की एक नई प्रणाली हमारे सामने आ गई है। लंदन के हमलावर को आप नए किस्म का आत्मघाती या अर्धआत्मघाती कह सकते हैं। उसे पता था कि जो क्रूर संहार वह करने जा रहा है, उसके बाद उसके मारे जाने की पूरी संभावना होगी। वैसे तो किसी तरह के आत्मघाती हमलावर से निपटना कठिन है, क्योंकि कोई व्यक्ति यदि चलता-फिरता बम बन जाए, तो वह कहीं भी कहर बरपा सकता है। और ऐसे हमलावर से तो और भी ज्यादा कठिन है जिसने उसी चीज को हथियार बना लिया जो उसके पास है। 
 
जाहिर है, दुनिया के सामने यह ऐसी चुनौती है जिससे निपटने के लिए नए सिरे से विचार करने की जरुरत है। आप देख लीजिए वेस्टमिंस्टर हमले के 24 घंटे से ज्यादा समय बाद आईएस ने कहा कि हमलावर खलीफा यानी अल बगदादी का सिपाही। इसका कारण यही है कि ऐसे व्यक्ति का किसी संगठन से जुड़ा होना आवश्यक नहीं है। वह अपनी ही प्रेरणा से आतंकवादी बन जाता है। किसी बड़े आतंकवादी संगठन से वह प्रभावित हो सकता है। अपने स्तर पर ही वह पहले विचार से आतंकवादी बनता है, फिर हमले के लिए जगह और उपकरण का चयन करता है तथा उसे अंजाम देने निकल पड़ता है। ऐसे लोगों को हमले के पूर्व कैसे पकड़ा जा सकता है! आप किसी गाड़ी को चेक करेंगे तो उसके पास सारे कागजात हैं एवं ड्राइविंग लाइसेंस भी है। वही गाड़ी आगे जाकर मारक हथियार बन गया। कोई खाली आदमी कहीं जा रहा है और उसने कई लोगों को नदी में धकेल दिया या चलती रेल या किसी गाड़ी के आगे धकेल दिया। जब तक वह ऐसा नहीं करता आप कल्पना नहीं कर सकते कि ऐसा करने वाला है। मई 2013 में लंदन में ही दो अफ्रीकी मूल के ब्रिटिश आतंकवादियों ने एक सैनिक को चाकुओं से गोदकर मार दिया था।
 
कोई सुरक्षा व्यवस्था ऐसे हमलों से निपटने में सक्षम नहीं हो सकता है। ये अपने मकसद यानी हिंसा से आतंक पैदा करने में कामयाब भी हो ही जाते हैं। लंदन हमले के बाद पार्लियामेंट स्क्वेयर और थैम्स नदी के आसपास के पूरे इलाके में लोगों की आवाजाही बंद कर दी गई। वेस्टमिन्स्टर अंडरग्राउंड स्टेशन को बंद कर दिया गया। इस रूट की ओर चलने वाली बसों को भी बंद करना पड़ा। यही नहीं हमले के बाद यूरोप के अनेक शहरों में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी की गई। यहां तक कि अमेरिका में भी ग्रांड सेंट्रल, सिटी हॉल और दूसरी जगहों पर सुरक्षा बढ़ा दी गई। तो एक आतंकवादी ने बिना किसी बड़े हथियार के इतना दहशत पैदा कर दिया। और विडंबना देखिए कि इनसे लड़ने का कोई रास्ता हमें सूझ नहीं रहा। बावजूद इसके इनसे मुकाबला तो करना ही होगा।
 
ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने इसे कायरता पूर्ण कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा कि हमले की जगह जानबूझकर शहर के दिल के पास चुना गया है जहां सभी देशों, धर्मों और संस्कृतियों के लोग आते हैं और स्वतंत्रता, लोकतंत्र और बोलने की आजादी का जश्न मनाते हैं। उन्होंने कहा कि जो भी हिंसा से ऐसे मूल्यों को समाप्त करना चाहते हैं वे कभी सफल नहीं होंगे। वास्तव में आतंकवाद एक विचार है जो आधुनिक सभ्यता के ही खिलाफ है। थेरेसा मे का यह कहना ठीक है कि यह हमला कोई गैर वैचारिक नहीं बल्कि वैचारिक है जिसमें लोकतांत्रिक मूल्यों को नष्ट करने का भाव शामिल है। ब्रिटेन की संसद आधुनिक लोकतंत्र का सबसे पुराना भवन है। आज दुनिया भर में हम लोकतंत्र के जिस स्वरुप को देख रहे हैं उसकी जननी ब्रिटेन की वेस्टमिंस्टर प्रणाली ही है। यदि उसके सामने लोगों को कुचला जाता है तथा दुनिया के सबसे पुराने संसद हाउस ऑफ कॉमन पर हमला करने की कोशिश होती है, तो इसका प्रतीकात्मक अर्थ बहुत साफ है। आतंकवादी हर हाल में इस आधुनिक सभ्यता को खत्म कर जेहाद की जो उनकी सोच है तथा इस्लामी साम्राज्य की जो उनकी कल्पना है उसके अनुसार की व्यवस्था कायम करना चाहते हैं। 
 
यह हो सकता है कि ब्रिटेन की संसद को ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर हुए आत्मघाती हमले की पहली बरसी पर निशाना बनाया गया हो। ब्रसेल्स हवाई अड्डे पर पिछले वर्ष 22 मार्च को तीन आत्मघाती हमलावरों ने धमाका किया था, जिसमें 36 लोग मारे गए थे। उस हमले की जिम्मेवारी आईएसआईएस ने ली थी तथा यूरोप में ऐसे और हमलों की धमकी भी दी थी। आईएसआईएस के खिलाफ जो अभियान चल रहा है उसके बाद से जो देश उच्चतम स्तर के अलर्ट पर हैं उनमें ब्रिटेन शामिल है। किंतु अलर्ट से क्या होगा! कोई कैसे अनुमान लगाता कि वेस्टमिंस्टर पुल पर काले रंग की वह आती हुई कार दरअसल आतंकवादी हथियार है? वेस्टमिंस्टर की यात्रा करने वाला कोई भी व्यक्ति यह कल्पना कर सकता है कि वहां ऐसे हमले आसानी से हो सकते हैं। वह जगह खुलेपन का प्रतीक है जहां सुरक्षा बहुत कड़ी नहीं होती। ब्रिटेन की संसद के बाहर सुरक्षा तो होती है लेकिन उतनी सख्त नहीं जैसी हम यहां बैठे कल्पना कर रहे होंगे। जाहिर है, इस हमले के बाद वहां बहुत कुछ बदल जाएगा। सुरक्षा कड़ी होगी। बकिंघम पैलेस की सुरक्षा भी कड़ी करनी होगी। बकिंघम पैलेस के गेट पर सुरक्षा गार्ड होते हैं लेकिन आम वाहनों के आवागमन पर वहां रोक नहीं है। हमले के तुरत बाद संसद के बाहर भारी संख्या में सशस्त्र बलों को तैनात किया भी गया। हो सकता है यह स्थायी व्यवस्था में परिणत हो जाए। यह आतंकवाद की सफलता ही है। 
 
तो यह सवाल अब भी अनुत्तरित है कि ऐसे हमलों का किया क्या जाए? प्रधानमंत्री थेरेसा मे के कथन को यहां उद्धृत करना जरुरी है। हमले के बाद हुई आपात बैठक के बाद उन्होंने कहा कि उनका देश ऐसे हमलों से डरने वाला नहीं है। यह (लंदन) महान शहर प्रतिदिन की तरह जागेगा। लंदन के लोग हमेशा की तरह बस और ट्रेनों में सफर करेंगे। और यही हुआ। वास्तव में सुरक्षा व्यवस्था के साथ ऐसा ही जज्बा और संकल्प पैदा करना होगा। सभ्यता को नष्ट करने का ख्वाब देखने वाले उन्मादियों के लिए यह सबसे बेहतर जवाब होता है। 
 
 
 

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