‘जो हूं सो हूं’ वाले आत्‍मविश्‍वास के साथ जीने वाली स्‍त्री भी है ‘परम सुन्दरी’

डॉ. छाया मंगल मिश्र
भारत की सुन्दरी ने 21 सालों बाद ‘इतिहास’ रच दिया। 80 देशों को ‘पछाड़ते’ हुए ख़िताब अपने नाम किया। 1170 हीरों से जड़ा, 37,87,90,000 कीमत का ताज पहना, हम सुन्दरी पा कर निहाल हुए। जैसा हमेशा बौराते हैं... बौरा रहें हैं।

उधर दिलीप जोशी, जिन्हें हम ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ के जेठालाल किरदार से जानते हैं, की बिटिया ने भी सभी का दिल जीत लिया है। अपनी नैसर्गिक बनावट के साथ ही विवाह संपन्न किया। शादी के लिए सफेद बालों को रंगना, वजन कम करने की कुंठा को धता बताते हुए “जैसी हूं सो हूं” के आत्मविश्वास की एक और मिसाल कायम की। ‘परम सुन्दरी’ तो वो भी है।

मंदिरा बेदी के पति के निधन पर उसके कपड़ों पर किए गए बवाल में शामिल होने वालों, ये जान लो कि वज्रपात हो जाए, दुखों का पहाड़ टूट जाए तब भी पूरे होश ओ हवास में दायित्व निभाने वाली हर स्त्री ‘परम सुन्दरी’ है।
लोग क्या कहेंगे की परवाह किए बिना जब महिलाएं सोशल मीडि‍या पर अपने दाम्पत्य के टूटने को करवाचौथ, हरतालिका तीज पर ‘सेलिब्रेट’ कर के अपने एक्स पति के फोटो सहित ऐब-अवगुण खुलेआम लिख देने वाली महिलाएं भी ‘परम सुन्दरी’ तो हैं।

जब तब देश की रक्षा के लिए जान लुटाने वाले सैनिकों, सिपाहियों, अफसरों के परिवारों की महिलाएं जब उनके अंतिम संस्कार की बिदाई में उन्हें चूम कर मुस्कुरा के बिदा करतीं हैं और अपने गोद में खेलते बच्चे, वृद्ध माता-पिता का मजबूत सहारा बनतीं हैं वे ‘परमसुन्दरी’ नजर आतीं हैं।

नीना गुप्ता जैसी प्रत्येक महिला जो शादीशुदा मर्दों से संबंध बनाने से पहले सोचें की सीख देतीं, खुद के कटु अनुभवों को साझा करतीं हैं। एक बेटी को जन्म देकर बिनब्याही मां बनने का साहस करतीं हैं। समाज में अपनी जगह बनातीं है। खुद के साथ बेटी को आत्मनिर्भर बनातीं हैं। समाज के दोगले चरित्र को नंगा करतीं है, वो प्रत्येक ‘सिंगल मदर’ ‘परम सुन्दरी’ है।

कोरोना में हुए नारकीय हालातों से जब ये आधी आबादी लड़ी है, भुगती है, त्रास भोग कर फिर से गति पकड़ उठ खड़ी हो फिर से चल पड़ी है हर वो ‘मदर इंडिया’ परमसुन्दरी है। वे चल पड़तीं हैं घरों घर झाड़ू झटका, पोंछा, बर्तन जैसे कई काम, मजदूरी दाड़की, ठेला, रिक्शा जैसे कई हाड़तोड़ मेहनत के काम करने। ताकि उनके घरों के चूल्हे जलते रहें।

देश की हर वो बेटी-बहू जो अपने माता पिता की हारी-बीमारी, वृध्दावस्था में अपनी पूर्ण जिम्मेदारी के साथ दायित्वों का निर्वाह पूरे मनोयोग से करती है वो भी तो ‘परम सुन्दरी’ है न।

और तो और देश के एक हिस्से के कांग्रेस नेता केआर रमेश कुमार विधानसभा में निर्लज्जता से यह बकवास कर रहे हों कि ‘जब बलात्कार रोक ना पा रहे हों तो लेट जाओ और इसका आनंद लो’ के बावजूद कोई ‘परमसुन्दरी’ अपने साथ हुए अन्याय के विरोध में ज्वालामुखी बन जाए तो उसकी ख़ूबसूरती का अंदाजा नहीं लगा सकते हैं।

बाजार और भौतिकता का प्रतीक यह मिस यूनिवर्स का यह ताज प्रकृति, ताकत, खूबसूरती, नारीत्व और एकता से प्रेरित 18 केरेट गोल्ड, 1770 डायमंड्स, सेंटरपीस में शील्ड-कट गोल्डन कैनरी डायमंड जिसका वजन 62.83 कैरट है से भलेही तैयार किया गया हो, पर “मेरे देश की हर संघर्षरत नारी के माथे पर जिम्मेदारी के गोल्ड में संवेदनाओं की चमक से दमकते डायमंड और उसके बीच में हिम्मत और साहस के शील्ड कट गोल्डन केनरी भव्यता के हीरे, और किसी भी इकाई में मापे न जा सकने वाले आत्मविश्वास से भरा ताज जरुर सजा हुआ है”
उस ताज में पत्त‍ियों, पंखुड़ियों और लताओं के डिजाइंस, सात महाद्वीपों के सुमदायों को रिप्रेजेंट करतीं हैं और “हमारी ‘परम सुन्दरियों’ के इस ताज को विश्व की आधी आबादी की आजादी, आशाएं, विश्वास, उम्मीदों की दुनिया रिप्रेजेंट होती है”

ऐसी ही किसी जानी अनजानी, अपने आस-पास और कहीं दूर बहुत दूर अपनी बेड़ियों को तोड़ आजादी की, नया इतिहास रचने की जिद और हिम्मत के संघर्ष गाथा की ऐसी हर नायिका “परम सुंदरी” है। जो नित नए आयाम रचती हैं, अपने लिए अपनों के लिए नए सुगम पथों का निर्माण अपनी पलकों से कांटे बीन कर निर्बाध बनातीं हैं और सारी प्रकृति और कायनात मिल कर उसके माथे पर नारीत्व का गौरवमयी अनमोल ताज सजाने को लालायित हो उठती है...

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