प्रिय निकिता,
तुम मार दी गई मेरे सामने, तुम छुपती रही मेरे पीछे और मैं कुछ न कर सकी। सखी थी मैं तुम्हारी, तुम्हारी राजदार, तुम्हारी हमराज, तुम्हारे साथ खिलखिलाने वाली, तुम्हारे साथ हर बात को साझा करने वाली.... आज तुम्हारी हत्या नहीं हुई आज मैं मर गई हूं... आज गोली तुम्हें नहीं मारी गई आज गोली मेरे कलेजे को चीर गई है। मैं निढाल हूं, मैं हैरान हूं, मैं हतप्रभ हूं... मेरी दोस्त, मेरी सखी, मेरी सहेली.. मेरी आंखों के सामने मार डाली गई और मैं कुछ न कर सकी... बस इस समय मेरी आंखों में खून उतर आया है, मेरे सामने जलते हुए सवाल नाच रहे हैं और मैं चीख भी नहीं पा रही हूं...