मुझे लगता है यह जो कोरोना आया है न किसी खास वजह से ही आया है कि थोड़ा हम झांक लें अपने भीतर, अपने मरते हुए मन को खंगाल लें, थोड़ा हिला लें अपने वजूद को अपनी आत्मा को थोड़ा नहला दें गैरत के पानी से...राजनीतिक विचारधाराओं ने सड़ा दिए हैं हमारे दिल और दिमाग.. हम हिन्दू-मुसलमान, भाजपा-कांग्रेस से आगे सोच-समझ ही नहीं पाते हैं।
थोड़ी तो अपने इंसान होने की शर्म को बचा लीजिए ...तेरा मेरा, इसका-उसका बाद में हो जाएगा... मानव मर रहे हैं मानवता को तो मरने मत दीजिए... कुछ तो लिहाज कीजिए... अपने दिल पर हाथ रख लीजिए और फिर सोचिए कि क्या यह हमारा हिंदुस्तान है? *स्मृति