नया वर्ष 2022 : सारे जिंदा लोग प्रवेश करेंगे नए साल में, लेकिन...

अनिरुद्ध जोशी

शुक्रवार, 31 दिसंबर 2021 (19:33 IST)
resolution 2022
वर्ष 2020 ने हमें सख्त लॉकडाउन देकर जिंदगी को घर में कैद करके रिश्तों को तोड़ा और जोड़ा, भूख को झकझोरा और संवेदनाओं को कुचला है। पलायन का दर्द सहा और न जाने क्या-क्या ढह गया। फिर उम्मीद थी 2021 से लेकिन उसने हमें दूसरी लहर के साथ ही हजारों चिताओं से उठता धुआं दिखा दिया। 2021 ने जिंदगी को धुआं-धुआं करके खाक में मिला दिया। सारी प्रार्थनाएं ध्वस्त हो गईं सिस्टम और हमारी लापरवाही के सामने। कुछ लोग नोट गिनने में लगे थे और कुछ लोग सांसें। ऑक्सीजन के साथ संवेदनाओं भी कहीं हवा में गुम थी।
 
नौकरी खोने, व्यापार चौपट होने के दर्द से कहीं गहरा दर्द था अपनों के खोने का। लोग फिर भी उम्मीद के सहारे जिंदा रहे या कि जिंदा रह गए। यदि आप जिंदा हैं तो इसलिए कि आपने मौत को हराया है। आपको खुद को और दूसरों को धन्यवाद देना चाहिए। लेकिन अब जब सभी जिंदा लोग 2022 में प्रवेश कर रहे हैं तो उन्हें उम्मीद से ज्यादा इस बात पर सोचना होगा कि हमारा जिंदा रहना क्यों जरूरी है और हम जिंदा क्यों रह गए? उन्हें यह भी समझना होगा कि मौत हर बार किसी से हारती नहीं है। उसकी जंग जारी है, क्योंकि यह कोराना के नए-नए रूप में आज हमारे बीच जिंदा है और हर किसी के घर के द्वारा पर रूप बदलकर खड़ी हुई है।
 
फिर भी उम्मीद और साहस के साथ आपका आत्मविश्‍वास सबसे बड़ी ताकत बनकर उभरा है, क्योंकि हमने देखा है कि जिन लोगों के 95 प्रतिशत फेफड़े खराब हो चुके थे, वे भी कोरोना को हराकर आज हम सभी के साथ 2022 में प्रवेश कर रहे हैं। सिर्फ एक चीज थी जिसके कारण लोग बच गए और वह थी संकल्प की शक्ति। इसी ने उम्मीद, साहस और आत्मविश्‍वास को पैदा किया।
 
- दोनों ही साल हमने देखा कि कई लोगों ने खुद को बदलने का संकल्प लिया। जो एक्सरसाइज, योगासन या प्राणायाम नहीं करते थे, उन्होंने यह सभी करने का संकल्प लिया और घर में रहकर ही खुद की इम्युनिटी के साथ ही फिटनेस को भी बढ़ाया।
 
- कई ऐसे लोग थे जिन्होंने नौकरी खोने के बाद अपने साहस और उम्मीद के दम पर व्यापार शुरू किया और आज वे पिछले 2 साल की अपेक्षा कहीं ज्यादा बेहतर स्थिति में हैं।
 
- कई लोग थे जिन्होंने संकट काल को एक अवसर की तरह लिया और अपनी एवं दूसरों की जिंदगी को पूरी तरह से बदलकर रख दिया। हमारे सामने ऐसे कई उदाहरण हैं।
 
- कई ऐसे भी लोग थे जिन्होंने लॉकडाउन के साथ ही कोरोना को झेला और बहुत कठिन परिस्थिति में रहने के बाद वे फिर से खड़े होकर दोगुने उत्साह से जीवन को जीने लगे।
 
- कई ऐसे भी लोग थे जिनका सब कुछ बर्बाद हो गया और वे सड़क पर जीवन जीने को मजबूर थे लेकिन उन्होंने अपनी संकल्प शक्ति से विपरीत परिस्थिति को हरा दिया।
 
- कई लोगों को हमने देखा होगा जो कई कदम पीछे हटकर फिर से आगे बढ़े और कई ऐसे लोग थे जिन्होंने परिस्थिति को वक्त के पहले ही भांप लिया और तेज कदमों से चलकर जीवन को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया।
 
- कई लोग यह जानते थे कि जिंदगी कभी नॉर्मल नहीं रहती है या नॉर्मल चैलेंज नहीं देती इसीलिए उन्होंने हमेशा अपने जीने के स्टाइल को नॉर्मल ही बनाकर रखा था जिसके कारण वे बच गए। बहुत सादगीपूर्ण जीवन जीना भी बचे रहने का एक तरीका था।
 
- अब सारे जिंदा लोग प्रवेश करेंगे नए साल में लेकिन उनमें से वे लोग जरूर खतरे में फिर भी रह सकते हैं, जो भाग्यवश बच गए या प्रकृति ने जिन्हें बचा लिया और जो कल भी बदलने को तैयार नहीं थे और आज भी नहीं हैं। जो कल भी संकल्परहित जीवन जी रहे थे और आज भी। जो कल भी मास्क नहीं लगाते थे और आज भी। जिन्होंने वैक्सीन नहीं लगवाई है, हो सकता है कि वे बच जाएं या फिर से बचा लिए जाएं, उन लोगों के कारण जिन्होंने वैक्सीन लगा रखी है। लेकिन सभी लोगों को यह जरूर ध्यान रखना चाहिए कि उम्मीदों से भरे इस नए वर्ष में मौत अभी भी दरवाजे पर खड़ी है, क्योंकि नया वर्ष आपके लिए है, उसके लिए नहीं।

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