अलौकिक शक्ति है आत्मप्रेरणा

आत्मप्रेरणा में अलौकिक शक्ति होती है। आपके मन में सिवाय सफलता, समृद्धि एवं उत्साह के कोई विचार नहीं होना चा‍हिए। कभी भी अपने आप को कमजोर, तुच्छ, दुखी और गरीब मत मानो। खुद के बारे में आपकी जैसी विचारधारा होगी, दूसरे भी आपको वैसा ही समझने लगेंगे। संसार में कोई व्यक्ति जन्म से असफल और दुखी नहीं होता। असफलता और दुख के लिए व्यक्ति स्वयं जिम्मेदार होता है। 
 
बहुत से लोग ऐसे होते हैं जो विपरीत परिस्थितियों के लिए अपने भाग्य को कोसा करते हैं। परन्तु भाग्य कोई ऐसी वस्तु नहीं है जो किसी को उपहार स्वरूप या विरासत में मिल जाए। इस बात पर यकीन कीजिए की भाग्य आपकी मुट्ठी में है और इसकी रचना स्वयं आपको करनी है।
 
जिन परिस्थितियों को एक मनुष्य कष्ट और संघर्ष की चरम सीमा समझकर उसको थक-हार कर छोड़ देता है, वही परिस्थितियां किसी अन्य व्यक्ति को न जाने कितनी उन्नति प्रदान करती हैं। इसके लिए भाग्य जिम्मेदार नहीं है बल्कि यह तो परिस्थितियों के अनुरूप खुद को ढालकर संघर्ष करने की बात है।
 
मैं असहाय हूं, दुखों का भार ढोने की लिए ही इस धरती पर आया हूं, मेरा भाग्य ही खराब है, इस प्रकार की सोच से कोई समृद्धवान या ऐश्वर्यवान नहीं बना सकता। निराशा में घिरे रहने के कारण बहुत से लोग ऐसे मिलेंगे जो योग्य होते हुए भी खास उपलब्धि नहीं प्राप्त कर पाते। ऐसे लोग किसी भी काम में हाथ डालने से पहले ही असफलता की कल्पना कर लेते हैं। ऐसे में उनके हाथ सिर्फ और सिर्फ असफलता ही आती है। उनके मन में संशय इतनी जड़ जमा लेता है कि उनके कार्य करने की शक्ति सर्वथा नष्ट हो जाती है।
 
सफलता और समृद्धि के लिए आवश्यक है कि सदैव अपने मन में सकारात्मक विचार रखें। कभी भी निराशावादी विचारों को मन में न आने दें। बहादुर बनने के लिए कायरतापूर्ण विचारों को छोड़ना ही पड़ेगा और निर्भय विचारों को अपनाना पड़ेगा। 
 
दुनिया में किसी भी व्यक्ति का जन्म व्यर्थ नहीं होता है। हर किसी के जन्म का एक ही उद्देश्य होता है कुछ करना और कुछ पाना। असफलता की बातें सोचना, निराश रहना और सफलता की उम्मीद करना वैसा ही है जैसा कि बबूल के पेड़ में आम की आशा रखना।
 
यदि कभी हीनता की भावना छाने लेगे या कभी उदासी के कारण आपका मन विचलित हो जाए तो  कुछ क्षण रुककर आपको ऐसी वस्तुओं के बारे में विचार करना चाहिए, उनका मनन करना चाहिए जो सुंदर व प्रिय हों और जिनसे आनंद की प्राप्ति हो रही हो। थोड़ी ही देर में देखेंगे कि उदासी के बादल छंट रहे हैं और आपका मन आनंद की अनुभूति करने लगेगा। 
 
अतः आप अपने अंतःकरण में आशावादी विचारों को स्थान दें। अपनी सोच सदैव सकारात्मक रखें, अपने ऊपर पूरा भरोसा रखें कि आपके लिए कोई भी काम ऐसा नहीं है जिसे आप प्राप्त न कर सकें।

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