पिछले सप्ताह फेसबुक पर जिस लाइव सुपरमून वीडियो को 1 करोड़ 60 लाख बार देखा गया, वह असली वीडियो नहीं था, बल्कि प्रांक था। फेसबुक के लाखों यूजर उस वीडियो को लाइव समझकर देखते रहे। जो वीडियो दिखाया गया, वह वास्तव में 9 साल पुराने चित्रों को लेकर बनाया गया था। यूजर्स की शिकायत के बाद फेसबुक से उसे हटा दिया गया। फेसबुक लाइव पर सबसे ज्यादा देखा गया सुपरमून का यह वीडियो यूजर्स के साथ एक तरह का छल था। ई-बज के नाम से इसे पोस्ट किया गया था। बुधवार की देर रात उसे हटा दिया गया। फेसबुक के एक प्रवक्ता ने कहा कि इस तरह के वीडियो दिखाना फेसबुक के नियमों का उल्लंघन है, पर उन्होंने यह नहीं बताया कि वे क्या कार्रवाई करने जा रहे हैं।
सुपर मून के वीडियोज को लोगों ने बहुत पसंद किया। अनेक यूजर्स ने लिखा, वाह मजा आ गया, अद्भुत, विलक्षण आदि। कुछ यूजर जो वीडियो पर लगातार निगाह रखे हुए थे, उन्होंने वीडियो की विश्वसनीयता को परखा और लिखा कि तीन घंटे हो गए, चांद की दशा वैसी की वैसी है। वास्तव में बहुत कम यूजर थे, जो लगातार उस लाइव पोस्ट को देख रहे थे, वरना लोग आते, पोस्ट को देखते और चले जाते।
जिस तरीके से यह प्रांक वीडियो बनाया गया था, वह लोगों को पसंद आया। चांद का बार-बार रंग बदलना, उसका आकार और चमक दर्शकों को आकर्षित करती थी। महानगरों में रहने वाले अनेक यूजर खुला आसमान नहीं देख पाते हैं, क्योंकि बड़ी-बड़ी इमारतों की वजह से खुला आसमान देखना संभव नहीं होता, उन्होंने समझा कि वे फेसबुक पर चांद को सजीव देख रहे हैं।
यू-ट्यूब असली वीडियो को लेकर काफी जागरुक है और उसने अपनी नीति बना रखी है कि वह फर्जी वीडियो को प्रोत्साहित नहीं करेगा। यू-ट्यूब की मालिक गूगल कंपनी भी ऐसी ही राय रखती है। फेसबुक ने जरूर कुछ नियम बना रखे हैं, लेकिन उन नियमों का पालन ठीक से नहीं होता।
सुपर मून के अगले दिन सीएनएन ने इस खबर का खुलासा किया और बताया कि फेसबुक लाइव के नाम पर जो वीडियो लोग देखते रहे, वह वास्तव में नासा के कुछ चित्रों को जोड़कर बनाया गया था। नासा के वे चित्र और फुटेज भी चोरी के बताए जाते हैं। अब फेसबुक जांच कर रहा है कि आखिर यह लाइव फुटेज कैसे और किसने प्रसारित किया।