यह कैसा रामराज्य है

- अक्षय नेमा मेख                                          
चोर-डाकूओं से अटे वर्तमान राजनैतिक माहौल में देश के अधिकांश राजनीतिज्ञ अपने आपको भगवान श्रीराम के तुल्य बनाने में लगे हैं। इसके लिए पहले उनके नाम का सहारा लिया, मंदिर का बेड़ा उठाया और अब रामराज्य की तूती बजाने में आसक्त हो गए हैं। यह चाहते हैं कि रामराज्य पुनः धरा पर अवतरित हो और इसका श्रेय इनके पाले में जाए। वह रामराज्य जिसे त्रेतायुग में भगवान श्रीराम ने आदर्श शासन के तौर स्थापित किया था।

जिसमें प्रत्येक नागरिक के लिए सुख-सुविधाओं से भरी व्यवस्थाएं थी। हर नागरिक उत्तम चरित्र, मर्यादाओं का पालन करने वाला, आत्मानुशासित, परोपकारी व विद्वान हुआ करता था। जहां मंत्री-संत्री कोई भी भ्रष्ट नहीं थे।
 
परन्तु वर्तमान में रामराज्य की योजना कुछ अलग ही ढंग से बनाई जा रही है। जिसमें पूरा सिस्टम भ्रष्ट है। मर्यादाओं को खुलेआम तार-तार किया जाता है। परोपकार, अनुशासन और विद्वात्ता का कहीं कोई अता-पता ही नहीं है। देश की कमान अंगूठा-छापों, माफियों और अपराधियों के हाथों में है। ऐसे में रामराज्य की अवधारणा क्या हो सकती है? यह हर कोई समझ सकता है। हद तो यह है कि रामराज्य के लिए जनता वर्षों से बाट जोह रही है, पर अब उसे बताना होगा कि वह धैर्य रखें क्योंकि हमारी सरकारों ने इस व्यवस्था को तैयार करने महत्वपूर्ण कदम उठाया है।

सरकारों ने मिलकर अपराधियों, माफियों और गुंडों को चयनित कर ठेके भी दे दिए है। जो लोकतंत्र को घायल और अभिव्यक्ति की हत्या कर इस रामराज्य के आदर्श ढांचे को प्रस्तुत किया करेंगे। यह कवायद तेजी से चलती रहेगी और वो दिन दूर नहीं होगा जब इसे समूचे देश में लागू कर दिया जाएगा।


 

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