नागपंचमी यानि नागदेवता के पूजन का दिन। इस दिन नागदेवता के पूजन से उनका आशिर्वाद प्राप्त होता है और पुण्य की प्राप्ति होती है। नागपंचमी की पूजा 15 अगस्त को सुबह 5:55 बजे से 8:31 बजे तक की जा सकती है। धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक अगर किसी जातक की कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे नागपंचमी के दिन भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करनी चाहिए।
पंचमी तिथि समाप्ति- 16 अगस्त को सुबह 01:51 बजे खत्म
पूजा का सबसे शुभ मुहूर्त- 15 अगस्त को सुबह 05:55 से 8:31 तक
नागपंचमी पूजन विधि
नाग पंचमी के दिन घर के सभी दरवाजों पर खड़िया (पाण्डु/सफेदे) से छोटी-छोटी चौकोर जगह की पुताई की जाती है और कोयले को दूध में घिसकर मुख्यत: दरवाजों के बाहर दोनों तरफ, मंदिर के दरवाजे पर और रसोई में नाग देवता के चिन्ह बनाए जाते हैं। आजकल यह फोटो बाजारों में मिलते हैं, जिन्हें आप इस्तेमाल कर सकते हैं। नागों की पूजा मीठी सेंवई खीर से की जाती है और इस दिन नागों को दूध पिलाने की परंपरा है। इसके लिए खेतों में या किसी ऐसे स्थान पर जहां सर्प होने की संभावना हो वहां एक कटोरी में दूध रखा जाता है।
ऐसे करें नागपंचमी पर पूजन
सबसे पहले प्रात: घर की सफाई कर स्नान कर लें। इसके बाद प्रसाद के लिए सेवई और चावल बना लें। इसके बाद एक लकड़ी के तख्त पर नया कपड़ा बिछाकर उस पर नागदेवता की मूर्ति या तस्वीर रख दें। फिर जल, सुगंधित फूल, चंदन से अर्ध्य दें। नाग प्रतिमा का दूध, दही, घृ्त, मधु और शर्करा का पंचामृत बनाकर स्नान कराएं। प्रतिमा पर चंदन, गंध से युक्त जल अर्पित करें। नये वस्त्र, सौभाग्य सूत्र, चंदन, हरिद्रा, चूर्ण, कुमकुम, सिंदूर, बेलपत्र, आभूषण और पुष्प माला, सौभाग्य द्र्व्य, धूप दीप, नैवेद्य, ऋतु फल, तांबूल चढ़ाएं। आरती करें। अगर काल सर्पदोष है तो इस मंत्र का जाप करें :