पौराणिक धर्मग्रंथों के अनुसार प्रतिवर्ष श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को नाग पूजा का विधान है। इस दिन को नाग पंचमी के नाम से जाना जाता है। इस व्रत के साथ एक बार भोजन करने का नियम है। इस दिन गैस या चूल्हे की आंच पर तवा रखना और साग-भाजी को काटना वर्जित माना जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार नाग पंचमी के दिन निम्नलिखित मंत्रों का उच्चारण कर पूजन करना शुभ फलदायक है।
नागपंचमी पर नाग पूजन के मंत्र :-
मंत्र 1 : * ॐ भुजंगेशाय विद्महे,
सर्पराजाय धीमहि,
ये च वापीतडागेषु तेषु सर्वेषु वै नम:।।'
अर्थात् - संपूर्ण आकाश, पृथ्वी, स्वर्ग, सरोवर-तालाबों, नल-कूप, सूर्य किरणें आदि जहां-जहां भी नाग देवता विराजमान है। वे सभी हमारे दुखों को दूर कर हमें सुख-शांतिपूर्वक जीवन दें। उन सभी को हमारी ओर से बारम्बार प्रणाम है...।