जिस किसी भी जातक की जन्मपत्रिका में कालसर्प योग होता है, तो उसका जीवन अत्यंत कष्टदायी होता है। इस योग से पीड़ित जातक मन ही मन घुटता रहता है। उसका जीवन कुंठा से भर जाता है, वह नीरस हो जाता है।
जीवन में उसे अनेक प्रकार की परेशानियां उठानी पड़ती हैं। ऐसे जातक को श्री सर्प सूक्त का पाठ बहुत राहत देता है, क्योंकि कालसर्प योग में श्री सर्प सूक्त का पाठ बहुत लाभदायी माना गया है।