गांव के सारे लोग उससे नफरत करते थे कोई उसके पास नहीं आता था। कभी किसी को दया आ जाती तो उसे खाने के लिए कुछ दे देते। गुरु जी उस कोढ़ी के पास गए और कहा- भाई हम आज रात तेरी झोपड़ी में रहना चाहते है, अगर तुझे कोई परेशानी ना हो तो।
कोढ़ी हैरान हो गया क्योंकि उसके तो पास में कोई आना नहीं चाहता था। फिर उसके घर में रहने के लिए कोई राजी कैसे हो गया? कोढ़ी अपने रोग से इतना दुखी था कि चाह कर भी कुछ ना बोल सका। सिर्फ गुरु जी को देखता ही रहा। लगातार देखते-देखते ही उसके शरीर में कुछ बदलाव आने लगे, पर कह नहीं पा रहा था।
गुरु जी ने कहा- 'और भाई ठीक हो, यहां गांव के बाहर झोपड़ी क्यों बनाई है? 'कोढ़ी ने कहा- 'मैं बहुत बदकिस्मत हूं, मुझे कुष्ठ रोग हो गया है, मुझसे कोई बात नहीं करता, यहां तक कि मेरे घर वालो ने भी मुझे घर से निकाल दिया है। मैं नीच हूं इसलिए कोई मेरे पास नहीं आता।'
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