Narak Chaturdashi 2023: रूप चौदस यानी नरक चतुर्दशी को छोटी दिवाली कहते हैं। 12 नवंबर 2023 रविवार के दिन यह दिवाली रहेगी इसी दिन रात में दिवाली भी रहेगी। जिन्हें नरक चतुर्दशी की पूजा करना हो वह 11 नवंबर की रात में करें और जिन्हें अभ्यंग स्नान करना हो वह 12 नवंबर की सुबह करें। अब जानें कि छोटी दीपावली क्यों मनाई जाती है?
नरक चतुर्दशी यानी छोटी दिवाली मनाने के 5 मुख्य कारण है:-
1. हनुमान जयंती : कुछ विद्वानों के अनुसार इस दिन हनुमानजी का जन्म हुआ था और कुछ विद्वानों के अनुसार इस दिन हनुमानजी ने सूर्य को फल समझकर खा लिया था। इसलिए इस चतर्दशी पर हनुमानजी की विशेष पूजा होती है।
3. नरकासुर का वध : भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी पत्नी सत्यभामा के साथ मिलकर नरकासुर का वध कर दिया था। इस असुर का नाम भौमासुर भी था। इसने 16 हजार महिलाओं को बंधक बना रखा था और इसने इंद्रदेव के राज्य को भी अपने कब्जे में ले रखा था। इसी के चलते श्रीकृष्ण को उसका वध करना पड़ा था। नरकासुर के वध के बाद देवताओं ने खुशी में इस दिन दिवाली मनाई थी और द्वारिका भी भी जीत का जश्न मना था।
4. राजा बलि के राज्य में मनाई जाती है दिवाली : इस दिन दक्षिण भारत में वामन पूजा का भी प्रचलन है। कहते हैं कि इस दिन राजा बलि (महाबली) को भगवान विष्णु ने वामन अवतार में हर साल उनके यहां पहुंचने का आशीर्वाद दिया था। इसी कारण से वामन पूजा की जाती है। अनुसरराज बलि बोले, हे भगवन! आपने कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी से लेकर अमावस्या की अवधि में मेरी संपूर्ण पृथ्वी नाप ली है, इसलिए जो व्यक्ति मेरे राज्य में चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त दीपदान करेगा, उसे यम यातना नहीं होनी चाहिए और जो व्यक्ति इन तीन दिनों में दीपावली का पर्व मनाए, उनके घर को लक्ष्मीजी कभी न छोड़ें। ऐसे वरदान दीजिए। यह प्रार्थना सुनकर भगवान वामन बोले- राजन! ऐसा ही होगा, तथास्तु। भगवान वामन द्वारा राजा बलि को दिए इस वरदान के बाद से ही नरक चतुर्दशी के दिन यमराज के निमित्त व्रत, पूजन और दीपदान का प्रचलन आरंभ हुआ।
5. नरक से बचने के लिए भी मनाते हैं छोटी दिवाली : तीसरी कथा यह है कि रंति देव नामक एक धर्मात्मा राजा थे। उन्होंने अनजाने में भी कोई पाप नहीं किया था फिर भी जब मृत्यु का समय आया तो यमदूत उन्हें नरक ले जाने के लिए आ धमके। राज ने कहा कि आप मुझ पर कृपा करें और बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे नरक जाना पड़ रहा है। यह सुनकर यमदूत ने कहा कि- हे राजन् एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था, यह उसी पाप कर्म का फल है। यह सुनकर राजा ने यमदूत से एक वर्ष का समय मांगा। तब यमदूतों ने राजा को एक वर्ष की मोहलत दे दी। राजा अपनी चिंता लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्हें अपनी सारी कहानी सुनाकर उनसे इस पाप से मुक्ति का उपाय पूछा।
तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी का व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवा कर उनके प्रति हुए अपने अपराधों के लिए क्षमा याचना करें। राजा ने वैसा ही किया जैसा ऋषियों ने उन्हें बताया। इस प्रकार राजा पाप मुक्त हुए और उन्हें विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ। उस दिन से पाप और नर्क से मुक्ति हेतु भूलोक में कार्तिक चतुर्दशी के दिन का व्रत प्रचलित है।