खुद को निर्दोष मानते हैं आडवाणी

सोमवार, 4 अक्टूबर 2010 (21:09 IST)
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वरिष्ठ भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी मानते हैं कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से उनकी अयोध्या रथयात्रा की सार्थकता की पुष्टि हुई है, लेकिन वे चाहते हैं कि बातचीत के जरिये राम मंदिर के निर्माण को तरजीह दी जाए।

आडवाणी ने 1989 में रथयात्रा शुरू की थी और वह मंदिर अभियान का प्रमुख चेहरा थे। उन्होंने उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ के पिछले हफ्ते के फैसले में आस्था को कानून से ऊपर रखने संबंधी आलोचनात्मक टिप्पणियों को खारिज करते हुए कहा कि यह केवल ‘कानून द्वारा आस्था में भरोसा’ करने का मामला है।

उन्होंने अपने पार्टी अध्यक्ष नितिन गडकरी के इस सुझाव का मजबूती से समर्थन किया कि मुस्लिम सरयू नदी के किनारे पर ‘परिसर से बाहर’ मस्जिद बना सकते हैं। आडवाणी ने एक साक्षात्कार में बयानों में बड़ी सावधानी दिखाई और ऐसा कुछ नहीं कहना चाहा जो मुस्लिम समुदाय में खलबली पैदा करे।

जब आडवाणी से पूछा गया कि क्या 1989 में सोमनाथ से अयोध्या तक के उनके मंदिर अभियान को न्यायालय के फैसले ने दोषमुक्त किया है तो उन्होंने कहा कि हाँ, मैं निर्दोष महसूस करता हूँ क्योंकि मेरा मानना है कि 1989 तक भाजपा मंदिर आंदोलन का हिस्सा नहीं थी जो कि दरअसल 1949 में शुरू हुआ था।

आगे की कार्रवाई और बातचीत के माध्यम से समझौते के लिए भाजपा और संघ परिवार के प्रयास के सवाल पर भाजपा नेता ने कहा कि आगे का रास्ता यही है कि दोनों समुदायों के बीच इस पर सहमति हो कि यह (अयोध्या में मंदिर निर्माण) होना चाहिए।

आडवाणी ने कहा कि जहाँ तक फैसले की बात है, यह उन लाखों लोगों की आकांक्षा को प्रकट करता है जो उस स्थान पर राम मंदिर बनाना चाहते हैं, जहाँ कि राम का जन्मस्थान माना जाता रहा है। उन्होंने कहा कि लेकिन यह अच्छा होगा कि यह न केवल अदालत का फैसला हो बल्कि दोनों समुदायों का भी यही निर्णय हो।

उन्होंने इस बात की संभावना को भी खारिज कर दिया कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले से काशी और मथुरा में धर्मस्थलों से जुड़े विवादों पर भी लोगों को इस आधार पर आवाज उठाने का मौका मिल जाएगा कि कानून से ऊपर आस्था को वरीयता दी गई है। आडवाणी ने कहा कि नहीं-नहीं, दोनों के बीच कोई समानता नहीं हैं।

भाजपा संसदीय दल के अध्यक्ष ने साक्षात्कार के दौरान इस बारे में बातचीत नहीं की कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले ने 1992 में विवादित ढाँचे के विध्वंस को जायज करार दिया है या नहीं। इस मुद्दे पर उनकी तरफ से कोई टिप्पणी नहीं आई कि फैसले ने विध्वंस मामले को हलका किया या नहीं। (भाषा)

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