चीन की सीमा पर 'प्रलय', सेना दिखाएगी ताकत

शुक्रवार, 2 मार्च 2012 (12:25 IST)
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छोटे लेकिन बेहद सघन युद्ध की क्षमता की कड़ी जांच परख के लिए भारतीय वायुसेना पूर्वी कमान में अपना अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास कर रही है। प्रलय नाम से यह अभ्यास गुरुवार से शुरू हो गया और अगले तीन दिन तक इसमें सुखोई 30 एमकेआई समेत वायुसेना के अनेक विमानों की गर्जना सीमा पार चीन तक सुनाई देगी।

वायुसेना के सूत्रों ने बताया कि इस अभ्यास में विशेष रूप से रात के समय युद्ध लड़ने की ताकत को जांचा जा रहा है। पूर्वी कमान में सुखोई पहुंचने के बाद यह पहला युद्धाभ्यास है। वायुसेना ने हाल ही में पूर्वोत्तर की अनेक हवाई पट्टियों को दुरुस्त करने का अभियान छेड़ा हुआ है और इस अभ्यास में इन नई सुविधाओं की भी परख होगी।

पिछले एक साल से अधिक समय से वायुसेना अपने पायलटों को संक्षिप्त घनघोर और दिन एवं रात की जंग के लिए तैयार करती रही है क्योंकि अनुमान जाहिर किए जाते रहे हैं कि भविष्य में यदि कोई युद्ध हुआ तो वह बहुत कम समय का होने के बावजूद बेहद भीषण होगा।

कई लड़ाकू विमान शामिल : अभ्यास में सेना को भी शामिल किया गया है और सुखोई के अलावा इसमें अमेरिका से लिए गए विशेष कार्रवाई विमान सी-130 जे, इसराइल से आए अवॉक्स विमानों, मिराज 2000, जगुआर मिग-21 बाइसन एवं एएन 32 परिवहन विमानों के साथ हवा में ईंधन भरने वाले रिफ्यूलर विमानों का भी इस्तेमाल होगा। सेना के पायलट रहित टोही यानों की भी इस अभ्यास में अहम भूमिका होगी और मैदानी ताकतों के साथ रात के समय विशेष बलों के तालमेल की कड़ी परीक्षा होगी।

प्रलय में यह भी होगा
* प्रलय अभ्यास में सूचना युद्ध नेटवर्क सेंट्रिक युद्ध और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का भरपूर उपयोग किया जाएगा।
* घने रक्षा वातावरण में समूचे एयर ऑपरेशनों का अभ्यास किया जाएगा। इसे आम भाषा में कहें तो हवाई हमलों के जोरदार माहौल में वायुसेना की जंगी क्षमता आंकी जाएगी।
* आकाश में युद्ध के जमीनी असर और उससे जुड़ी आपात स्थितियों को इस अभ्यास में देखा जाएगा। वायुसेना के विभिन्न एयर बेस पर यदि शत्रु चोट करता है तो उससे निपटने के उपाय इस अभ्यास में शामिल किए जाएंगे। (एजेंसी)

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