दो लीवर से तैयार एक लीवर

रविवार, 12 अगस्त 2007 (16:14 IST)
राजधानी के गंगाराम अस्पताल में एक आदमी को दो लोगों के यकृत के दो टुकड़े लगाए गए हैं। इस चिकित्सीय कारनामे में दो लोगों के लीवर के हिस्से काटकर एक आदमी के लिए नया लीवर तैयार किया गया।

इसका सफल प्रत्यारोपण चिकित्सा विज्ञान के लिहाज से बेहद पेचीदा काम है, लेकिन यह कारनामा भी कर दिखाया है राजधानी के सर गंगाराम अस्पताल के चिकित्सकों ने।

एक व्यापारी को उसकी पत्नी और भतीजे का जिगर लगाया गया। कोरिया, तुर्की, जर्मनी में पहले इस तरह के प्रत्यारोपण किए जा चुके हैं और भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चौथा और एशिया का पहला देश बन गया है। यह प्रत्यारोपण गत 6 जुलाई को संपन्न हुआ।

तमिलनाडु के सलेम शहर के रहने वाले 60 वर्षीय अप्पू चेत्तियार के लीवर प्रत्यारोपण में जहाँ लीवर प्राप्तकर्ता की जिंदगी दाँव पर लगी थी, वहीं दो दानकर्ताओं की जिंदगी थोड़ी-सी चूक होने पर जा सकती थी। लेकिन चेत्तियार तेजी से स्वस्थ हो रहे हैं और दोनों दानकर्ता भी ठीक-ठाक हैं।

सलेम शहर के रहने वाले 60 वर्षीय व्यापारी अप्पू चेत्तियार को दो वर्ष पहले हेपेटाइटिस बी हुआ था। सलेम और चेन्नाई के अस्पतालों के चिकित्सकों ने यह कह दिया कि अप्पू कुछ सप्ताह ही जीवित रहेंगे, क्योंकि उनका लीवर पूरी तरह नष्ट हो चुका है। उनकी जिंदगी बचाने का एकमात्र उपाय लीवर प्रत्यारोपण ही है। इस पर चेत्तियार के चिकित्सक पुत्र डॉ. जयपाल उसे अप्रैल में सर गंगाराम अस्पताल ले आए।

चिकित्सकीय जाँच से पता चला कि अप्पू के कई अंग ठीक से काम नहीं कर रहे और वे सेप्टिसीमिया के भी शिकार हैं। प्रत्यारोपण टीम के प्रमुख डॉ. एएस साईन ने बताया लीवर प्रत्यारोपण होने के बाद जब नए लीवर से रक्त प्रवाह होने लगा तो खुशी की लहर दौड़ गई। प्रत्यारोपण के बाद अप्पू को छह सप्ताह तक आईसीयू में रखना पड़ा।

अस्पताल के अध्यक्ष डॉ. बीके राव ने कहा कि अंगदान करने वालों को कुछ समय तक दवा लेनी पड़ेगी, जबकि अप्पू को एक दवा जीवनभर लेनी पड़ेगी। अप्पू चेत्तियार को इस प्रत्यारोपण के लिए 20 लाख रुपए खर्च करने पड़े। (नईदुनिया)

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