अमेरिका के साथ हुए परमाणु करार पर आगे बढ़ने के लिए कांग्रेस भले ही अपनी बात वामदलों के गले उतारने में कामयाब हो गई हो, लेकिन उसके खुद के कार्यकर्ता इस समझौते की बारीकियों से वाकिफ दिखाई नहीं देते।
अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के अधिवेशन में देशभर से आए प्रतिनिधि परमाणु मुद्दे पर अपने केंद्रीय नेतृत्व की राय से हाँ में हाँ तो मिलाते हैं, लेकिन अधिकांश कार्यकर्ताओं को इस बात का पता ही नहीं था कि यह 123 समझौता आखिर है क्या बला? जिस हाइड एक्ट को लेकर वामदल हो-हल्ला करते रहे हैं, वह किस चिड़िया का नाम है।
परमाणु मुद्दे की बारीकियों के बारे में अज्ञानता का आलम यह था कि खुद को प्रदेश महामंत्री, पूर्व मंत्री और अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सदस्य कहलाने वाले और पूरे नेताजी के अंदाज में दिखाई देने वाले कार्यकर्ता भी इस मुद्दे पर बात को घुमाते नजर आए।
मुजफ्फरनगर से आए एआईसीसीआई के सदस्य दीपक कुमार ने बताया कि यह जो डील है, उसे हमारे पीएम देख रहे हैं। हम इसके बारे में आपको ज्यादा नहीं बता सकते। यह थोड़ा सेंसेटिव मामला है।
उनके पास खड़े दिल्ली प्रदेश कांग्रेस के सचिव हरिपाल रावत से जब परमाणु समझौते के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इस बारे में हमें पार्टी कुछ ज्यादा नहीं बता रही है। हमें तो बहुत मोटी-सी बात पता है। इस सौदे से देश की आजादी पर कोई संकट नहीं आ रहा है।
मध्यप्रदेश में युवक कांग्रेस के प्रदेश महामंत्री आशीषप्रतापसिंह को भी परमाणु समझौते की बारीकियों के बारे में उन्हें भी ज्यादा ज्ञान नहीं था। लेकिन एक विनम्र कार्यकर्ता के नाते उन्होंने अपनी इस अज्ञानता को छिपाने की कोशिश नहीं की।
आशीषप्रतापसिंह ने कहा कि वामदल क्या चाहते हैं, क्या नहीं चाहते, यह बात और है, पर परमाणु समझौते से बिजली बनेगी। मुझे फ्रेंकली इस समझौते के बारे में ज्यादा पता नहीं है। मैंने सम्पादकीय पढ़े हैं। हाइड एक्ट के बारे में भी ज्यादा पता नहीं है।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस समिति की महासचिव रत्ना प्रभा परमाणु समझौते को प्रधानमंत्री और सोनिया गाँधी जैसे बड़ी नेताओं का मामला मानती हैं और उनका कहना है कि जो भी ये दोनों नेता इस बारे में फैसला लेंगे उसे सब कांग्रेसी मानेंगे।