सीबीआई ने आरोप लगाया है कि मायावती ने अपनी 13 करोड़ 18 लाख की राशि ऐसे 130 लोगों से दान में मिली बताई है, जो अपने लिए दो जून रोटी का भी बंदोबस्त नहीं कर सकते।
जाँच एजेंसी ने उच्च न्यायालय में दाखिल कराए अपने हलफनामे में कहा है कि इस तथ्य के बारे में तब पता चला, जब मायावती और उनके परिजनों द्वारा पेश की गई आयकर विवरणिका की जाँच की गई।
हलफनामे के मुताबिक जाँच से पता चला कि मुख्यमंत्री ने बाद में दान में दी गई इस राशि का आय की स्वैच्छिक घोषणा योजना (वीडीआईएस) में खुलासा किया।
यह पता लगा है कि चल और अचल परिसंपत्तियों को हासिल करने के उद्देश्य से धन के इस स्रोत को छिपाने के लिए मायावती उनके पारिवारिक सदस्यों और रिश्तेदारों द्वारा 307 दान और उपहार लिए जाने की जानकारी दी गई है, जिनकी कुल कीमत 13 करोड़ 18 लाख रुपए है। बताया गया कि यह राशि 130 दानदाताओं से प्राप्त की गईं।
सीबीआई ने शीर्ष न्यायालय को जानकारी दी कि इनमें से 30 दानदाताओं का पता लगाने के बाद उनकी जाँच की गई। दानदाताओं ने बताया उनके पास ऐसे उपाय या संसाधन नहीं हैं कि वे इस कदर बड़ी धनराशि वाले उपहार या दान दे सकें, जैसा कि आय कर विवरणिकाओं में प्रदर्शित किया गया है।
मायावती ने शनिवार को कहा था कि उनके खिलाफ दायर मामला राजनीति से प्रेरित है। सीबीआई ने इस आरोप से इनकार करते हुए कहा कि उसके द्वारा न्यायालय में पेश किया गया हलफनामा मुख्यमंत्री द्वारा दायर उस याचिका की प्रतिक्रिया में दिया गया है, जिसमें उन्होंने उच्चतम न्यायालय से अपने खिलाफ अक्टूबर 2003 में दायर प्रथम सूचना रिपोर्ट को खारिज करने की माँग की थी।
अपने हलफनामे में सीबीआई ने उच्चतम न्यायालय को सूचित किया कि आयकर विभाग ने भी कुछ दानदाताओं की जाँच की है और जाँच के दौरान विभाग को दिए गए दानदाताओं के बयान एजेंसी के बयानों के समान ही हैं।
हलफनामे के अनुसार दानदाताओं ने बताया कि दिल्ली के किसी महेश गर्ग ने उनके बैंक खाते खुलवाए। खाते खुलवाने के बाद उसने दानदाताओं के हस्ताक्षर किए हुए चेक अपने पास रख लिए। उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें अपने खातों में हुए लेन-देन के बारे में कोई जानकारी नहीं है, क्योंकि इन सभी खातों का संचालन गर्ग ही करता था। करात ने की मायावती से मुलाकात अमरसिंह का मायावती पर आरोप