Israel Iran War : रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने इजराइल और ईरान के बीच संघर्ष को समाप्त कराने के लिए बुधवार को मध्यस्थता की पेशकश की और कहा कि मॉस्को एक ऐसा समझौता कराने में मदद कर सकता है, जिसके तहत ईरान अपने परमाणु कार्यक्रम पर शांतिपूर्वक आगे बढ़ सकता है और इजराइल की सुरक्षा चिंताएं भी कम हो सकती हैं।
अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के पत्रकारों से बात करते हुए पुतिन ने कहा कि यह एक संवेदनशील मुद्दा है। मेरे विचार से, एक समाधान निकल सकता है। यह पूछे जाने पर कि इजराइल, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की हत्या कर देता है तो रूस की क्या प्रतिक्रिया होगी, इस पर पुतिन ने जवाब देने से इनकार कर दिया और कहा कि मैं ऐसी किसी आशंका पर चर्चा नहीं करना चाहता।
खामेनेई ने इजराइली हमलों के बीच आत्मसमर्पण करने की अमेरिका की अपील खारिज कर दी है और आगाह किया है कि अमेरिका की किसी भी सैन्य कार्रवाई से उसे (अमेरिका को) अपूरणीय क्षति होगी।
पुतिन ने कहा कि उन्होंने रूस का प्रस्ताव ईरान, इजराइल और अमेरिका से साझा किया है। उन्होंने कहा कि हम किसी पर कुछ भी थोप नहीं रहे हैं; केवल इस बारे में बात कर रहे हैं कि हम इस स्थिति से बाहर निकलने का संभावित रास्ता कैसे ढूंढ सकते हैं। लेकिन, निश्चित रूप से, यह निर्णय इन सभी देशों, मुख्य रूप से ईरान और इजराइल के राजनीतिक नेतृत्व पर निर्भर है।
रूस ने दशकों से पश्चिम एशिया में एक नाजुक संतुलन बनाए रखा है। वह इजराइल के साथ अपने मधुर संबंधों को बरकरार रखने की कोशिश कर रहा है, जबकि ईरान के साथ उसके मजबूत आर्थिक व सैन्य संबंध विकसित हुए हैं।
पुतिन ने सेंट पीटर्सबर्ग अंतरराष्ट्रीय आर्थिक मंच के अवसर पर एसोसिएटेड प्रेस समेत अंतरराष्ट्रीय समाचार एजेंसियों के वरिष्ठ पत्रकारों के साथ बैठक में कहा कि रूस का ईरान के साथ भरोसेमंद संबंध है और रूस ने ईरान के दक्षिण में फारस की खाड़ी के बुशहर में उसके पहले परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण में मदद की थी। उन्होंने कहा कि बुशहर में दो और रिएक्टरों के निर्माण में 200 से अधिक रूसी श्रमिक लगे हुए हैं। हम इजराइली नेताओं की इस बात से सहमत हैं कि उनकी सुरक्षा सुनिश्चित की जानी चाहिए।
पुतिन ने कहा कि ईरान ने रूस से सैन्य सहायता नहीं मांगी है। उन्होंने कहा कि जनवरी में दोनों देशों के बीच हस्ताक्षरित रणनीतिक साझेदारी संधि में ऐसी सहायता की परिकल्पना नहीं की गई थी। उन्होंने कहा कि रूस ने अतीत में ईरान को कुछ हवाई रक्षा प्रणाली प्रदान की थी, इसके अलावा उसने पहले भी व्यापक हवाई सुरक्षा में मदद की पेशकश की थी, लेकिन तेहरान ने इसे स्वीकार नहीं किया। हमारा प्रस्ताव एक प्रणाली बनाने का था। हम अतीत में इस पर चर्चा करते थे, लेकिन ईरानी पक्ष ने इसमें बहुत कम रुचि दिखाई। (भाषा)