नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि राय सिखों, मजहबी सिखों और दलित ईसाइयों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान करने का कोई प्रस्ताव नहीं है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता राज्यमंत्री सुदर्शन भगत ने लोकसभा में अजय मिश्रा टेनी और भीमराव बी पाटील के सवालों के लिखित जवाब में यह जानकारी दी।
उन्होंने बताया कि उत्तराखंड और दिल्ली सरकार ने राय सिख समुदाय को संबंधित राज्य की अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने की पहले भी सिफारिश की थी लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव के समर्थन में पूरा ब्योरा प्रस्तुत नहीं किया था।
भगत ने बताया कि इस प्रकार मंत्रालय ने दोनों सरकारों से पूर्ण प्रस्ताव प्रस्तुत करने का अनुरोध किया है। हालांकि अभी तक इस संबंध में जरूरी सूचना नहीं मिली है।
उन्होंने कहा, जहां तक मजहबी सिख को अनुसूचित जाति की सूची में शामिल करने का संबंध है, ऐसा कोई भी प्रस्ताव किसी भी राज्य सरकार या संघ शासित प्रदेश से प्राप्त नहीं हुआ है।
उन्होंने बताया कि ईसाई धर्म में धर्मांतरण करने वाले अनुसूचित जाति के व्यक्तियों को अनुसूचित जाति का दर्जा प्रदान करने के संबंध में उच्चतम न्यायालय में कई रिट याचिकाएं दायर की गई हैं तथा यह मामला इस समय शीर्ष अदालत के विचाराधीन है। (भाषा)