‘आरक्षण’ के साथ है सेंसर बोर्ड-पुनिया

मंगलवार, 16 अगस्त 2011 (10:05 IST)
नई दिल्ली। प्रकाश झा की विवादित फिल्म ‘आरक्षण’ के नाम को ‘पब्लिसिटी स्टंट’ करार देते हुए अनुसूचित जाति आयोग ने आरोप लगाया है कि इस फिल्म के कई आपत्तिजनक संवादों के साथ रिलीज होने में सेंसर बोर्ड की मिलीभगत है जो बहुत शर्मनाक है।

एससी आयोग के अध्यक्ष पीएल पुनिया ने आपत्तिजनक संवादों के साथ फिल्म के रिलीज होने पर कहा कि इससे एक बात साबित होती है कि सेंसर बोर्ड की इसमें मिलीभगत है। हमने कई आपत्तिजनक संवाद हटाने की सिफारिश की थी लेकिन कुछ नहीं हुआ।

असल में, इसके पटकथा लेखक अंजुम राजबली सेंसर बोर्ड के भी सदस्य हैं। इसी से पता चलता है कि फिल्म को कैसे पास किया गया। पुनिया ने प्रकाश झा द्वारा 12 अगस्त को रिलीज इस फिल्म का नाम ‘आरक्षण’ रखने पर भी आपत्ति जताई क्योंकि इस फिल्म में मध्यान्तर के बाद आरक्षण को लेकर कोई चर्चा नहीं है और पूरी फिल्म शिक्षा के व्यवसायीकरण पर निर्भर है।

उन्होंने कहा कि जो भी आपत्तिजनक संवादों के साथ इस फिल्म की रिलीज के पक्ष में है उसकी आलोचना की जानी चाहिए।

पुनिया ने कहा कि इस फिल्म का नाम ‘आरक्षण’ केवल ‘पब्लिसिटी स्टंट’ के लिए रखा गया है जबकि फिल्म के दूसरे भाग में इस संबंध में कोई कहानी नहीं है।

इससे पहले 12 अगस्त को रिलीज हुई ‘आरक्षण’ पर प्रतिबंध लगाए जाने के बारे में, इस फिल्म में कालेज के प्राचार्य की भूमिका निभाने वाले अमिताभ बच्चन ने कहा था कि सेंसर बोर्ड की भी क्या कोई महत्ता है। उन्होंने ब्लॉग के जरिये कहा कि फिल्म पर प्रतिबंध सेंसर बोर्ड का ‘अपमान’ है।

आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि हैरानी वाली बात यह है कि जब मंडल आयोग और उच्चतम न्यायालय के आरक्षण पर फैसले को केन्द्रित किया गया है तो दलित किरदार (सैफ अली खान) क्यों हर बार बढ़चढ़कर दिखाया गया, जबकि मंडल आयोग ने ओबीसी के आरक्षण की सिफारिश की थी यानी दलितों को जबर्दस्ती लपेटा गया है।

उन्होंने कहा कि कई आपत्तिजनक संवाद जानबूझकर इसमें डाले गए हैं जिनका फिल्म की कहानी से कोई लेना-देना नहीं है। पुनिया ने हालांकि अमिताभ बच्चन और सैफ अली खान के किरदारों की प्रशंसा की और कहा कि इन दोनों कलाकारों ने अच्छी भूमिकाएं निभाई हैं। (भाषा)

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