1 lakh Yatarth Geeta will be distributed in Ayodhya : राम नगरी अयोध्या धाम में इन दिनों रामलला के प्राण-प्रतिष्ठा की तैयारियां जोर-शोर से चल रही हैं। राम मंदिर के भूतल के निर्माण को अंतिम रूप देने के लिए कार्य प्रगति पर है, वहीं दूसरी तरफ अयोध्या नगरी को सजाने-संवारने व चल रहे निर्माण कार्यों को भी अंतिम रूप दिया जा रहा है ताकि अयोध्या धाम आने वाले रामभक्तों, श्रद्धालुओं एवं पर्यटकों को किसी भी प्रकार की परेशानियों का सामना न करना पड़े अयोध्या प्रवेश करते ही श्रीराम की धर्मस्थली का अहसास हो।
ऐसी शुभ घड़ी में अयोध्या आने वाले लाखों श्रद्धालुओं, रामभक्तों व पर्यटकों में जन कल्याण हेतु एक लाख 'यथार्थ गीता' का वितरण का संकल्प परमहंस स्वामी अड़गड़ानंद महाराज ने लिया है। स्वामीजी ने 'वेबदुनिया' को बताया कि इनके शिष्य सोहमानंद बाबा ने कहा कि इससे पूर्व भी 'यथार्थ गीता' का वितरण चारों कुंभ में लाखों लोगों को वितरित किया जा चुका है। ये सेवा हम गुरु भगवान के आदेश पर कर रहे हैं। गुरुजी ने कहा, लोगों का कहना है कि की आप सभी जगह यथार्थ गीता का वितरण कर रहे हैं तो अयोध्या में रामलला का प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव चल रहा है, यहां भी वितरित करें।
चूंकि पूरी दुनिया में भगवान राम जब लंका पर विजयी होकर लौटे थे तो अयोध्यावासियों ने दीपक जलाकर दीवाली जैसा उनका स्वागत किया था और यहां इन्हीं का प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव है। विश्व के सबसे बड़े मंदिर की स्थापना हो रही है। पूरे विश्व की निगाह यहीं पर लगी हुई है, तो इसलिए यहां इस ज्ञान के गीता का प्रकाश संपूर्ण विश्व में जाना चाहिए, क्योंकि आज मनुष्य को ज्ञान के प्रकाश की परम आवश्यकता है।
मनुष्य इस ज्ञान के प्रकाश को अपने ह्दय में, मन में, विचारों में, बुद्धि में अगर प्रचारित कर ले तो मनुष्य का अंतःकरण इससे मेंटेन होता है। बाहर आप कुछ भी कर लें उससे मनुष्य के विचार मेंटेन नहीं कर सकते। मोक्ष व मुक्ति की प्राप्ति कैसे हो?
उन्होंने कहा कि विश्व का सबसे विवादित प्रश्न धर्म है, अनादिकाल से महापुरुषों ने जो उपदेश दिया है तो धर्म पर ही, लेकिन फ़िर भी आज समस्या ज्यों की त्यों बनी हुई है। इसीलिए इस आदर्श मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में यथार्थ गीता का वितरण कर ज्ञान के सागर को प्रचारित करने का संदेश देने का एक प्रयास किया जा रहा है।
उन्होंने बताया कि यथार्थ गीता का 30 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है। चूंकि प्राण-प्रतिष्ठा महोत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों के साथ-साथ विदेशों से भी आने वाले रामभक्तों को यह वितरित की जाएगी, जिससे कि सभी को लाभ मिले। यथार्थ गीता के माध्यम से मानव को यह ज्ञान होगा कि वह कौन है, इस धरती पर उसका जन्म क्यों हुआ है, साथ ही परमात्मा ने हमें मानव तन क्यों दिया है, क्योंकि 83 लाख योनियों में केवल मनुष्य ही भगवान का भजन-कीर्तन कर सकता है कोई और योनी का जीव नहीं कर सकता है।
इसलिए उन्होंने कहा कि गीता सृष्टि का प्रथम धर्मशास्त्र है, यह सृष्टि की प्रथम भगवान की वाणी का ग्रंथ है। उन्होंने कहा कि गीता ग्रंथ ही ऐसा ग्रंथ है जो निर्विवाद है और न्यायालय में भी यही है। भारत में तो आदर्श ग्रंथ है और अमेरिका जैसे सेटनहाल यूनिवर्सिटी अन्य मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेजों में गीता को पढ़ना अनिवार्य कर दिया गया है। मनुष्य की परम शांति, आत्मिक सुख इस यथार्थ गीता में ही है।
उन्होंने कहा कि अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा एवं गर्भगृह में प्रवेश के साथ ही अयोध्या में लंबे संघर्ष के बाद भव्य-दिव्य राम मंदिर के निर्माण से अभी तक लोगों में जो भावनाएं रही है, हिन्दू जिसको अपना आदर्श मानते हैं, उनका घर नहीं बन पा रहा है, मंदिर नहीं बन पा रहा है तो भगवान कैसे हो सकते हैं, तमाम चीजें हैं। रामलला संपूर्ण मानवता के लिए आदर्श है और सभी के हैं, संपूर्ण विश्व हिन्दू है।
उन्होंने कहा कि भगवान राम व कृष्ण के समय में कोई और धर्म व संप्रदाय थी ही नहीं, सभी ग्रंथों का सार है सार्थक गीता। उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का पूरा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी व संघ प्रमुख मोहन भागवत को जाता है। ये सभी बधाई के योग्य हैं। इन पर रामजी व साधु-संतों का आशीर्वाद है।