राष्ट्रपति का अभिभाषण : तिरंगे के अपमान से लेकर कोरोना वैक्सीन तक राष्ट्रपति ने संसद में कही 10 बड़ी बातें...
शुक्रवार, 29 जनवरी 2021 (12:24 IST)
नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को संसद के संयुक्त सत्र को संबोधित किया। उन्होंने अपने भाषण में तिरंगे के अपमान से लेकर, गलवान घाटी में सेना के सर्वोच्च बलिदान और कोरोना वैक्सीन तक कई बातों पर जोर दिया। जानिए भाषण से जुड़ी 10 बड़ी बातें...
-राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 26 जनवरी को प्रदर्शनकारी किसानों की ट्रैक्टर परेड के दौरान लाल किले पर धार्मिक ध्वज फहराए जाने की घटना की पृष्ठभूमि में शुक्रवार को कहा कि गणतंत्र दिवस पर तिरंगे का अपमान बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है।
-जून 2020 में हमारे 20 जवानों ने मातृभूमि की रक्षा के लिए गलवान घाटी में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। हर देशवासी इन शहीदों के प्रति कृतज्ञ है।
-राष्ट्रपति कोविंद ने बजट सत्र के पहले दिन अपने अभिभाषण में कहा, चुनौती कितनी भी बड़ी हो, हम रुकेंगे नहीं, भारत रुकेगा नहीं।
-जब भी भारत एकजुट हुआ है, उसने असंभव लक्ष्यों को भी हासिल किया है
-कोरोना वायरस महामारी से निपटने में केंद्र सरकार के प्रयासों की सराहना करते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को कहा कि सरकार के समय पर लिए गए सटीक फैसलों से लाखों देशवासियों का जीवन बचा है।
-महामारी के खिलाफ लड़ाई में हमने अनेक देशवासियों को असमय खोया भी है। हम सभी के प्रिय और मेरे पूर्ववर्ती राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी का निधन भी कोरोना काल में हुआ। संसद के छह सदस्य भी कोरोना की वजह से असमय हमें छोड़कर चले गए। मैं सभी के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
-अपने सभी निर्णयों में मेरी सरकार ने संघीय ढांचे की सामूहिक शक्ति का अद्वितीय उदाहरण भी प्रस्तुत किया है। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच इस समन्वय ने लोकतंत्र को मजबूत बनाया है और संविधान की प्रतिष्ठा को सशक्त किया है।
-अर्थव्यवस्था को संभालने के लिए रिकॉर्ड आर्थिक पैकेज की घोषणा के साथ ही मेरी सरकार ने इस बात का भी ध्यान रखा कि किसी गरीब को भूखा न रहना पड़े।
-मेरी सरकार की प्राथमिकताओं में ये छोटे और सीमांत किसान भी हैं। ऐसे किसानों के छोटे-छोटे खर्च में सहयोग करने के लिए पीएम किसान सम्मान निधि के जरिए उनके खातों में लगभग 1,13,000 करोड़ से अधिक रुपए सीधे हस्तांतरित किए जा चुके हैं।
-मेरी सरकार यह स्पष्ट करना चाहती है कि तीन नए कृषि कानून बनने से पहले, पुरानी व्यवस्थाओं के तहत जो अधिकार थे तथा जो सुविधाएं थीं, उनमें कहीं कोई कमी नहीं की गई है। बल्कि इन कृषि सुधारों के जरिए सरकार ने किसानों को नई सुविधाएं उपलब्ध कराने के साथ-साथ नए अधिकार भी दिए हैं।