नई दिल्ली। राज्यसभा में आज मंगलवार को खाद्य वस्तुओं पर जीएसटी लगाए जाने पर जमकर हंगामा हुआ जिसके बाद केंद्र की सत्ताधारी भाजपा ने 19 विपक्षी सदस्यों को राज्यसभा से निलंबित करने का फैसला भारी मन से लिया गया, क्योंकि उन्होंने सदन चलने देने के लिए आसन की ओर से लगातार की गई अपील को नजरअंदाज किया और अन्य सदस्यों के अधिकारों का हनन किया।
राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल ने दावा किया कि विपक्षी दल संसद में चर्चा करने से भाग रहे हैं, न कि सरकार चर्चा से भाग रही है। उन्होंने दोहराया कि एक बार वित्तमंत्री कोविड-19 संक्रमण से पूरी तरह स्वस्थ हो जाएं और संसद आ जाएं तो सरकार महंगाई के मुद्दे पर चर्चा करने को तैयार है।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विपक्षी सदस्यों ने सदन में मौजूद अन्य सदस्यों के अधिकारों का हनन किया है, जो चाहते थे कि कार्यवाही चले और चर्चा हो। उन्होंने विपक्षी सदस्यों से सदन की कार्यवाही में भाग लेने की अपील भी करते बातचीत में कहा कि भारत ने विश्व के कई देशों के मुकाबले महंगाई और मूल्यवृद्धि पर बेहतर तरीके से लगाम लगाई है और सरकार संसद को यह बताने को उत्सुक है कि उसने कैसे मूल्यवृद्धि पर नियंत्रण किया।
उन्होंने कुछ आवश्यक खाद्य वस्तुओं पर माल और सेवाकर (जीएसटी) लगाए जाने के खिलाफ विपक्षी द्वारा विरोध प्रदर्शन करने के लिए भी उन्हें आड़े हाथों लेते कहा कि जीएसटी परिषद में सभी राज्यों के प्रतिनिधि हैं। कांग्रेस, वामपंथी दल, तृणमूल कांग्रेस और अन्य विपक्षी पार्टियां विभिन्न राज्यों में सत्ता में है।
महंगाई के मुद्दे पर विपक्ष के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जिन राज्यों में विपक्षी दलों का शासन है, उन राज्यों में भाजपा शासित प्रदेशों की तरह ईंधन पर मूल्यवर्धित कर (वैट) में कटौती क्यों नहीं की गई? महंगाई एवं कुछ आवश्यक पदार्थों पर माल और सेवाकर (जीएसटी) लगाए जाने सहित विभिन्न मुद्दों पर विपक्षी दलों के सदस्यों के हंगामे के कारण मंगलवार को भी उच्च सदन में गतिरोध कायम रहा तथा आसन के समक्ष आकर नारेबाजी कर रहे 19 विपक्षी सदस्यों को शुक्रवार तक के लिए निलंबित कर दिया गया। निलंबित सदस्यों में 7 तृणमूल कांग्रेस, 6 द्रमुक, 3 तेलंगाना राष्ट्र समिति, 2 मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पाटी और 1 सदस्य भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी के हैं।(भाषा)