VIDEO | Major Sita Shelke, a woman Army engineer from Madras Engineer Group and Centre in Bengaluru, led a team of 140 Army personnel in constructing a Bailey bridge in landslide-hit Wayanad.
"I don't consider myself only as a woman, I'm a soldier, I am here as a representative… pic.twitter.com/nqEWu6j7vx
भारतीय सेना ने वायनाड में कमाल कर दिया। भूस्खलन से जूझ रहे केरल के वायनाड में सेना ने जो कारनामा किया है उसकी चर्चा पूरे देश में हो रही है। बता दें कि वायनाड में मौसम की मार से कई लोगों की मौत हो गई है। ऐसे में सेना ने वहां ध्वस्त हुए पुल को जोड़कर बड़ी राहत दी है। इस पूरे अभियान में भारतीय सेना की सीता शेल्के की बड़ी भूमिका रही।
Major Sita Shelke &
140 army personnel worked without a break to build the 190-ft Bailey bridge in 31 hours at #Wayanad Chooralmala ..!
दरअसल, भारतीय सेना ने गुरुवार को केरल के वायनाड में भूस्खलन प्रभावित चूरलमाला और मुंडाकाई को जोड़ने वाले बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर डाला। 190 फीट लंबे पुल का निर्माण क्षेत्र में बचाव अभियान को बढ़ावा देने के लिए किया गया है और इसकी वजन क्षमता 24 टन है।
9 जुलाई को शुरू हुआ था निर्माण : बता दें कि इसका निर्माण 31 जुलाई को रात 9 बजे शुरू किया गया था और 16 घंटे के भीतर यह अगस्त 5:30 बजे पूरा हो गया। यह पुल अपनी लंबाई के कारण नदी के बीच में एक घाट के साथ बनाया गया है। बेली ब्रिज एक अस्थायी पुल है जो पूर्व-निर्मित स्टील पैनलों से बना होता है, जिसे तेजी से इकट्ठा किया जा सकता है।
16 घंटे में पूरा हुआ काम: वायनाड: भारतीय सेना ने गुरुवार को केरल के वायनाड में भूस्खलन प्रभावित चूरलमाला और मुंडाकाई को जोड़ने वाले बेली ब्रिज का निर्माण पूरा कर लिया। 190 फीट लंबे पुल का निर्माण क्षेत्र में बचाव अभियान को बढ़ावा देने के लिए किया गया है और इसकी वजन क्षमता 24 टन है। इसका निर्माण 31 जुलाई को रात 9 बजे शुरू किया गया था और 16 घंटे के भीतर यह अगस्त 5:30 बजे पूरा हो गया।
रक्षा प्रवक्ता ने दी बधाई : रिकॉर्ड समय में पुल बनाने के सेना के प्रयासों की सराहना करते हुए रक्षा प्रवक्ता, त्रिवेन्द्रम ने एक्स पर लिखा, "भारतीय सेना के मद्रास इंजीनियर्स ग्रुप की मेजर सीता शेल्के और उनकी टीम को बधाई, जिन्होंने सभी प्रकार की चुनौतियों से आगे बढ़कर वायनाड में 16 घंटे में 24 टन क्षमता वाला 190 फीट लंबा पुल बनाया, जो 31 जुलाई को रात 9 बजे शुरू हुआ और 1 अगस्त को शाम 5:30 बजे पूरा हुआ।"
बता दें कि भारतीय सेना की दक्षिणी कमान ने भी प्रतिकूल मौसम की स्थिति और सीमित समय के बावजूद इस चुनौतीपूर्ण कार्य को पूरा करने के लिए बल की सराहना की।
पुल के दृश्यों में सेना को पुल का निर्माण कार्य करते हुए देखा जा सकता है। सेना द्वारा पूरी तरह से निर्मित पुल की तस्वीरें भी साझा की गईं। पुल के निर्माण के लिए सामग्री दिल्ली और बेंगलुरु से चूरलमाला पहुंचाई गई थी। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने एक संवाददाता सम्मेलन में घोषणा की थी कि कन्नूर में उड़ान भरने के बाद सामग्री को मोटर वाहन विभाग के नेतृत्व में 17 ट्रकों द्वारा हवाई अड्डे से वायनाड ले जाया गया।
क्या होता है बेली ब्रिज : बता दें कि बेली ब्रिज एक अस्थायी पुल है जो पूर्व-निर्मित स्टील पैनलों से बना होता है, जिसे तेजी से इकट्ठा किया जा सकता है। बेली ब्रिज एक प्रकार का पोर्टेबल, प्री-फैब्रिकेटेड, ट्रस ब्रिज है। इसे 1940-1941 में द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान सैन्य उपयोग के लिए अंग्रेजों द्वारा विकसित किया गया था और ब्रिटिश, कनाडाई और अमेरिकी सैन्य इंजीनियरिंग इकाइयों द्वारा व्यापक उपयोग देखा गया था। बेली ब्रिज के फायदे यह हैं कि इसे जोड़ने के लिए किसी विशेष उपकरण या भारी उपकरण की आवश्यकता नहीं होती है। लकड़ी और स्टील के पुल के तत्व छोटे और हल्के थे, जिन्हें ट्रकों में ले जाया जा सकता था और क्रेन के उपयोग के बिना, हाथ से उठाया जा सकता था।
ये पुल टैंक ले जाने के लिए काफी मजबूत थे। बेली ब्रिज का उपयोग सिविल इंजीनियरिंग निर्माण परियोजनाओं और पैदल यात्री और वाहन यातायात के लिए अस्थायी क्रॉसिंग प्रदान करने के लिए बड़े पैमाने पर किया जा रहा है।
Edited by Navin Rangiyal