2000 का नोट फिर सुर्खियों में, क्यों उठ रही है बंद करने की मांग

शुक्रवार, 8 नवंबर 2019 (17:05 IST)
नई दिल्ली। नोटबंदी की तीसरी वर्षगांठ पर आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव एससी गर्ग ने कहा कि 2000 रुपए के नोट को बंद कर देना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट की जगह लाए गए 2000 रुपए के नोट की जमाखोरी की जा रही है और इसे बंद कर देना चाहिए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीन साल पहले आज ही के दिन 500 और 1000 रुपए के पुराने नोट को बंद करने की घोषणा की थी। इसका मकसद काले धन पर अंकुश लगाना, डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देना और देश को लेस-कैश अर्थव्यवस्था बनाना था।

गर्ग ने एक नोट में कहा कि वित्तीय प्रणाली में अब भी काफी मात्रा में नकदी है। 2000 रुपए के नोटों की जमाखोरी इसका सबूत है। पूरी दुनिया में डिजिटल भुगतान का विस्तार हो रहा है। भारत में भी ऐसा ही हो रहा है। हालांकि, विस्तार की रफ्तार धीमी है। वित्त मंत्रालय से स्थानांतरण के बाद गर्ग ने स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (वीआरएस) ले ली थी।

गर्ग ने कहा कि मूल्य के आधार पर चलन में मौजूद मुद्रा में 2000 रुपए के नोट की एक तिहाई हिस्सेदारी है। उन्होंने दो हजार रुपए के नोट को बंद करने या चलन से वापस लेने की वकालत करते हुए कहा कि वास्तव में 2000 रुपए के नोटों का एक अच्छा-खासा हिस्सा चलन में नहीं है। इनकी जमाखोरी हो रही है। इसलिए मुद्रा के लेनदेन में 2000 रुपए के नोट ज्यादा नहीं दिखते हैं।

गर्ग ने कहा कि बिना किसी दिक्कत के इन नोटों को बंद किया जा सकता है। इसका एक आसान तरीका है कि इन नोटों को बैंक खातों में जमा कर दिया जाए। इसका उपयोग प्रक्रिया के प्रबंधन में किया जा सकता है।

आर्थिक मामलों के पूर्व सचिव ने कहा कि भुगतान करने के बेहद सुविधाजनक डिजिटल मोड तेजी से नकदी की जगह ले रहे हैं। हालांकि भारत को इस दिशा में अभी लंबी दूरी तय करना है क्योंकि देश में 85 प्रतिशत से अधिक लेनदेन में अभी भी नकदी की मौजूदगी है।

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