इन आतंकवादियों ने पास ही बने छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस में 52 लोगों को मौत की नींद सुलाने के बाद इस अस्पताल का रुख किया था। कैलाश के मुताबिक साथी बब्बन वालू ने गोलियों की आवाज सुनने के बाद अस्पताल में लगे दरवाजों को बंद करने का काम तेजी से शुरू कर दिया, लेकिन वालू अंधाधुंध गोलियां बरसा रहे आतंकियों का निशाना बन गए। इससे वे घबराकर एक पेड़ के पीछे छुप गए और बमुश्किल 10 फुट की दूरी से उन्होंने इंसानी जिंदगियों को मौत बांट रहे कसाब को देखा।
अस्पताल परिसर में प्रवेश करने के बाद कसाब और उसके सहयोगी ने अंधाधुंध गोलीबारी शुरू कर दी। इससे कर्मचारी, मरीज और उनके रिश्तेदार बहुत डर गए। बाद में कैलाश हिम्मत दिखाते हुए पुलिस टीम को छठी मंजिल तक ले गए, जहां उनकी आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ हुई। इसमें दो पुलिसकर्मी मारे गए और वह एवं आईपीएस अधिकारी सदानंद दाते घायल हो गए।
नर्स मीनाक्षी मुसाले और अस्मिता चौधरी ने कहा कि उन्होंने फ्रिज, एक एक्सरे मशीन, दवा ट्रॉली और कुर्सियों का इस्तेमाल दूसरी मंजिल पर दरवाजा बंद करने के लिए किया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि आतंकवादी वहां घुस न सकें। रात्रि पर्यवेक्षक सुनंदा चव्हाण ने कहा, बच्चों और उनकी मां को सुरक्षित रखना हमारा कर्तव्य था। हमने बच्चों को घायल होने से बचाने के लिए दीवार के समीप सभी पालने रख दिए। अस्पताल अधीक्षक अमिता जोशी ने बताया कि अब अस्पताल में सशस्त्र गार्ड हैं और निगरानी के लिए 67 सीसीटीवी लगाए गए हैं।