‘टीबी’ के 26 प्रतिशत मामले भारत में, ‘बांझपन’ का मुख्य कारण यही है, जानिए किसे है खतरा और कैसे समय पर करें ‘इलाज’
गुरुवार, 12 मई 2022 (13:13 IST)
इन दिनों निसंतानता एक गंभीर रोग है। कई दंपत्ति इससे जूझ रहे हैं। ऐसे दपंत्तियों को संतान के लिए या आईवीएफ का सहारा लेना पड़ता है या सेरोगेसी का रूख करना पड़ता है। इस तरह के उपायों में मोटी रकम और समय की बर्बादी भी बहुत होती है।
दरअसल निसंतानता के कई कारण हो सकते हैं। ऐसे में इन कारणों का सही समय पर निदान कर के इसके गंभीर खतरों से बचा जा सकता है।
इन्हीं कारणों में से एक कारण है टीबी। टीबी और बांझपन का आपस में गहरा संबंध है। यह गंभीर रोग है, हालांकि समय रहते इसके उपचार के प्रयास से इसे दूर किया जा सकता है।
गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब के लिए खतरा है टीबी
इस विषय के विशेषज्ञ डॉ ऋषिकेश पई इस बारे में बेहद विस्तार से बताते हैं, उन्होंने बताया कि सभी जानते हैं कि टीबी एक गंभीर बीमारी है जो फेफड़ों को प्रभावित करती है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि टीबी गर्भाशय, फैलोपियन ट्यूब और जननांगों को भी संक्रमित कर सकता है? यदि इसे बगैर इलाज के छोड़ दिया जाए, तो यह समस्या बांझपन का कारण बन सकता है!
टीबी है बांझपन का मूल कारण डॉ पई के मुताबिक यदि आप गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, और असफल हो रही है, तो जननांग टीबी आपके बच्चे पैदा करने के सपनों मे रुकावट लाने का मूल कारण हो सकता है। वास्तव में, पुरुषों और महिलाओं दोनों में बांझपन का मूल कारण टीबी है, इस तथ्य के बारे मे तब पता चलता है, जब जोड़े अपनी प्रजनन समस्याओं के लिए इलाज करने डॉक्टर के पास जाते है।
क्या है टीबी पर WHO के आंकड़े?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, भारत में दुनिया में सबसे बड़ी टीबी की महामारी है, और यह देश के लिए एक चिंता का विषय है। 2020 में, दुनिया के लगभग 26% टीबी के मामले भारत में पाए गए (डब्ल्यूएचओ की ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2021 के अनुसार)।
इंडियन कौन्सिल मेडिकल रिपोर्ट (ICMR) के अनुसार, भारत में आईवीएफ प्रक्रिया का प्रयास करने वाली अधिकांश महिलाओं में जननांग टीबी (एफजीटीबी) बड़ी संख्या में पाया गया है।
आईसीएमआर सर्वेक्षण के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में भारत में एफजीटीबी का प्रसार काफी बढ़ गया है। इसलिए, कई आईसीएमआर अध्ययन टीम इस समस्या के निदान और प्रबंधन के लिए राष्ट्रीय स्तर पर लागू एल्गोरिदम विकसित करने पर काम कर रहे हैं।
कब हो जाना चाहिए सतर्क?
टीबी किसी भी उम्र में हो सकती है, खासकर 15 से 45 साल के प्रजनन आयू वाली महिलाओं में जननांग में टीबी हो सकती है, और मध्यम आयु वर्ग के पुरुष वर्ग में यह समस्या देखी जाती है। इसलिए इसके लक्षण नजर आने पर तुरंत जांच और इलाज करवा लेना चाहिए।
क्या हैं जननांग टीबी के लक्षण? महिलाएं: महिलाओं में अनियमित मासिक धर्म, पेट में दर्द, योनि से बदबूदार रक्त और रक्तविराहित स्त्राव का बहना और संभोग के बाद रक्तस्राव जैसे विभिन्न लक्षण दिखाई देते हैं। महिलाओं में, जननांग टीबी फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय को प्रभावित कर सकता है। एंडोमेट्रियम के स्तर पर, यह गर्भाशय की दीवार से चिपक जाता है, जिसे एशरमैन सिंड्रोम कहा जाता है।
कई बार एफजीटीबी के कोई लक्षण मौजूद नहीं होते हैं, इसलिए प्रारंभिक अवस्था में इस समस्या का सटीक और जल्दी निदान प्राप्त करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसलिए, डॉक्टर निर्धारित लक्षणों के अलावा मरीज की मेडिकल हिस्ट्री और क्लिनिकल परीक्षण जैसे कुछ और टेस्ट भी करते हैं। टीबी बैक्टीरिया की जांच के लिए मूत्र परीक्षण, सोनोग्राफी, सीटी, एंडोमेट्रियल एस्पिरेट (या बायोप्सी), एंडोस्कोपी जैसे चिकित्सा परीक्षण करके इस समस्या का निश्चित निदान करना मुमकिन हो सकता हैं।
पुरुष: जननांग टीबी मुख्य रूप से महिलाओं को प्रभावित करता है, पुरुषों में प्रोस्टेट ग्रंथि, एपिडीडिमिस और अंडकोष को प्रभावित करता है। पुरुषों में, इससे स्खलन में असमर्थता, शुक्राणु की गतिशीलता में कमी और पिट्यूटरी ग्रंथि के पर्याप्त हार्मोन का उत्पादन करने में असमर्थता जैसी समस्याएं हो सकती हैं।
कैसे करे देखभाल?
खांसी और छींक द्वारा हवा में छोड़ी गई छोटी बूंदों के माध्यम से टीबी के बेकटेरिया एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में संक्रमित हो सकते है। यदी सही समय मे इस पर उपचार नही किया गया, तो यह गुर्दे, पेट, मस्तिष्क, गर्भाशय और फैलोपियन ट्यूब जैसे पूरे शरीर मे फैल सकते हैं। इसलिए समय रहते इसका इलाज जरूरी है।
इन समस्याओं का निदान इनफर्टिलिटी जांच के दौरान लक्षणों और उनकी प्रकृति के आधार पर किया जाता है। भारत में टीबी के मरीजों को देखने का अलग नजरिया होता है। टीबी के बारे में कई सामाजिक भ्रांतियां हैं, इसलिए इसका निदान और उपचार करना मुश्किल हो जाता है।
क्या है इसका इलाज?
अच्छी खबर यह है कि समय पर निदान और उपचार से टीबी को जल्दी नियंत्रित किया जा सकता है। साथ ही, टीबी का इलाज करते समय गर्भावस्था से संबंधित कई उन्नत प्रजनन उपचार लेना भी संभव है। उदाहरण के लिए, सहायक प्रजनन तंत्रज्ञान (ART), इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF), या फिर इंट्रायूटरिन इन्सेमिनेशन (IUI) का उपयोग किया जा सकता है।
एफजीटीबी के मामले में, भ्रूण स्थानांतरण को सबसे सफल आईवीएफ उपचार पाया गया है। जबकि, पुरुषों में टेस्टिकुलर स्पर्म एस्पिरेशन (टीईएसए) नामक एक सरल प्रक्रिया द्वारा इस समस्या को हल किया जा सकता है, जिसमें अंडकोष से शुक्राणु कोशिकाओं और ऊतकों को एक छोटी सुई के माध्यम से हटा दिया जाता है, और इसके बाद अंडे को निषेचित करने के लिए शुक्राणु को ऊतक से अलग किया जाता हैं।
इसके अलावा, जीवन स्तर में सुधार, प्रतिरक्षा को बढ़ावा देना, आहार पर ध्यान केंद्रित करना, भीड़-भाड़ वाली जगहों से दूर रहना, बीसीजी का टीका लगवाना आदि महत्वपूर्ण कदम हैं जो खुद को टीबी से बचाने के लिए उठाए गए हैं।