पिछले 2 महीनों में उत्तर-भारत के मैदानी इलाकों में बवंडर, धूल भरी आंधी और तेज हवाओं वाले तूफान से कई राज्यों में जान-माल की भारी तबाही हुई। इसके असर से गुरुवार को दक्षिणी राज्यों में जमकर बारिश हुई। ग्लोबल वॉर्मिग की वजह से बढ़ते तापमान का सर्वाधिक असर अप्रत्याशित मौसमी बदला जैसे एक ही क्षेत्र में भारी बरसात, तूफान, आंधी या रेतीले बवंडरों के रूप में सामने आ रही है।
भारत में मौसम के इस बदले मिजाज का 12 राज्यों पर असर पड़ा। यूपी, राजस्थान, मप्र, झारखंड, हिमाचल, पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड और दिल्ली में तेज हवाओं, तूफान से भारी नुकसान हुआ। वहीं तेलंगाना, बंगाल और आंध्र प्रदेश में आंधी के साथ बारिश हुई। इसमें सैंकडों लोगों की मौत हुई। 300 से ज्यादा घायल हो गए। हजारों मकान, सैकड़ों वाहन और फसलों को भारी नुकसान हुआ।
तूफान की 3 बड़ी वजह : इसकी पहली बड़ी वजह थी मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक एक वेस्टर्न डिस्टर्बेंस जम्मू-कश्मीर के ऊपर बना हुआ था और दिल्ली, यूपी और राजस्थान में बेहद गर्मी थी। इस कारण यहं कम दवाब का क्षेत्र निर्मित हो गया। जिसकी वजह से बंगाल की खाड़ी से आ रही हवाओं और पश्चिमी विक्षोभ (वेस्टर्न डिस्टर्बेंस) के बीच टकराव हुआ, और उसने उग्र तूफान का रूप ले लिया।
दूसरी और सबसे बड़ी वजह रही कि एक साथ 3 दुर्लभ वेदर डिस्टरबेंस सिस्टम बन गए। राजस्थान, पंजाब और हरियाणा के ऊपर साइक्लोनिक सर्कुलेशन बना। इससे गरजने वाले बादल बने। यह पैटर्न यूपी होते हुए बिहार पहुंचा। वहां बंगाल की खाड़ी से आ रही नमी मिली। 40 डिग्री से अधिक तापमान के चलते तूफान की परिस्थितियां निर्मित हुई और बवंडर और तूफान का माहौल बन गया।