आधार कार्ड : केंद्र की दलील पर सुप्रीम कोर्ट नाराज

बुधवार, 3 मई 2017 (22:57 IST)
नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने आधार कार्ड न बनवाने को अपराध की संज्ञा देने की केंद्र सरकार की दलील पर बुधवार को गहरा ऐतराज जताया। एटर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने पैन कार्ड बनवाने और आयकर रिटर्न (आईटीआर) भरने में आधार संख्या को जरूरी किए जाने को लेकर आयकर कानून की धारा 139(एए) की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान आज फिर केंद्र सरकार के फैसले का बचाव किया।
       
उन्होंने न्यायमूर्ति अर्जन कुमार सिकरी और न्यायमूर्ति अशोक भूषण की पीठ के समक्ष दलील दी कि आधार कार्ड ऐच्छिक नहीं है, बल्कि अनिवार्य है। जो जानबूझकर आधार कार्ड नहीं बनवा रहे हैं, वे एक तरह से अपराध कर रहे हैं। न्यायालय ने हालांकि केंद्र के इस जवाब पर गहरा ऐतराज जताते हुए कहा कि सरकार यह नहीं कह सकती कि जिन्होंने आधार नहीं बनवाया, वे अपराधी हैं।
       
याचिकाकर्ता ने भी केंद्र की उक्त दलील का यह कहते हुए पुरजोर विरोध किया कि एक तरफ यूआईडीएआई का कहना है कि आधार स्वैच्छिक है तो दूसरी तरफ एटर्नी जनरल कहते हैं कि यह अनिवार्य है। याचिकाकर्ता ने कहा, हम नहीं चाहते कि 24 घंटे कोई हम पर नजर रखे। 
         
आधार डाटा लीक की खबर पर केंद्र सरकार ने दलील दी कि यह डाटा भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) से लीक नहीं हुआ है, बल्कि यह दूसरे सरकारी विभागों से लीक हुआ है, जिन्हें आधार डाटा को पारदर्शी और सुरक्षित रखने में दिक्कत हो रही है। 
        
रोहतगी ने दावा किया कि पैन फर्जी भी हो सकता है, मगर आधार पूरी तरह सुरक्षित है। अभी तक करीब दस लाख पैन रद्द किए जा चुके हैं, जबकि अब तक जारी किए गए एक अरब 13 करोड़ 70 लाख आधार कार्ड की नकल का एक भी मामला सरकार के पास नहीं आया है। उन्होंने दलील दी कि आधार कार्ड आतंकी गतिविधियों के लिए धन मुहैया कराने की समस्या और कालेधन के प्रचलन पर अंकुश लगाने का प्रभावी तरीका है। 
        
केंद्र सरकार ने पीठ से कहा कि आधार डाटा पूरी तरह सुरक्षित है, क्योंकि इसे यूआईडीएआई ने आयकर अधिनियम के तहत जोखिमपूर्ण बुनियादी संरचनाओं की श्रेणी में रखा है। हालांकि केंद्र ने यह माना कि कोई भी तकनीक 100 फीसदी पूर्ण रूप से सुरक्षित नहीं होती। इस मामले की सुनवाई कल भी जारी रहेगी। (वार्ता)

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