Uddhav and Raj Thackeray will come together: शिवसेना यूबीटी के नेता उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई तथा मनसे नेता राज ठाकरे के साथ आने की संभावनाएं बढ़ गई है। यदि दोनों भाई साथ में आते हैं तो महाराष्ट्र की राजनीति खासकर बीएमसी चुनाव में भाजपा के लिए मुश्किलें खड़ी हो सकती हैं। दरअसल, उद्धव ठाकरे ने भी संकेत दिए हैं कि जो महाराष्ट्र के दिल में गूंजेगा वही होगा। हमारे शिवसैनिकों और उनके (मनसे) कार्यकर्ताओं के मन में कोई दुविधा नहीं है। इस बीच, महाराष्ट्र में गठबंधन सहयोगी कांग्रेस ने भी कहा कि यदि भाजपा को दूर रखने के लिए दोनों भाई साथ आते हैं, वह इसका स्वागत करेगी।
इसलिए चली चर्चा : दरअसल, इस बात को उद्धव ठाकरे के एक बयान से हवा मिली है। उन्होंने मातोश्री में एकनाथ शिंदे की शिवसेना के नेता को अपनी पार्टी में शामिल करने के मौके पर कहा कि जो महाराष्ट्र के लोग चाहेंगे वही होगा। हमारे मन में कोई दुविधा नहीं है। हम संदेश नहीं भेजेंगे, सीधे समाचार ही पहुंचाएंगे। उल्लेखनीय है कि आने वाले कुछ महीनों में बीएमसी के चुनाव भी होने वाले हैं। ऐसे में उद्धव के इस बयान को काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
राज ठाकरे ने भी पहले कहा था कि मराठी मानुष (मराठी भाषी लोगों) के हित में एकजुट होना कठिन नहीं है, जबकि उद्धव ठाकरे ने कहा था कि वह छोटी-मोटी लड़ाइयां छोड़कर आगे बढ़ने को तैयार हैं, बशर्ते महाराष्ट्र के हितों के खिलाफ काम करने वालों को रोका जाए। राज ठाकरे के पुत्र अमित ठाकरे ने कहा था कि बयानबाजी के बजाय दोनों नेताओं (राज-उद्धव) को बैठकर बात करनी चाहिए। दोनों ही भाई बाल ठाकरे की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं।
क्या कहा कांग्रेस ने : कांग्रेस की महाराष्ट्र इकाई ने शुक्रवार को कहा कि अगर शिवसेना (उबाठा) और मनसे के बीच राज्य के हित में और सांप्रदायिक भाजपा को दूर रखने के लिए गठबंधन होता है, तो वह इसका स्वागत करेगी। कांग्रेस की राज्य इकाई के प्रवक्ता अतुल लोंढे ने कहा कि शिवसेना (उबाठा) और मनसे दोनों की ओर से यह बात सामने आई है कि वे महाराष्ट्र के हितों की रक्षा करने और सांप्रदायिक भाजपा को दूर रखने के लिए हाथ मिलाएंगे। अगर दोनों पार्टियां इसके लिए एक साथ आ रही हैं, तो हम इस कदम का स्वागत करेंगे।
लोंढे ने कहा कि जो लोग सत्ता में हैं और संवैधानिक पदों पर आसीन हैं, वे जाति और सांप्रदायिक विभाजन पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। हमारे आदर्शों छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, महात्मा फुले और डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर की विचारधारा को रोज कुचला जा रहा है। अगर वे (शिवसेना (उबाठा) और मनसे) इस विचारधारा की रक्षा के लिए एक साथ आते हैं, तो कांग्रेस इसका स्वागत करेगी। (एजेंसी/वेबदुनिया)