पत्र में उन्होंने लिखा कि अत्यंत दुख और भारी मन से मैं आपके संज्ञान में लाना चाहता हूं कि केंद्रीय सूचना आयुक्त और सूचना आयुक्तों के चयन के मामले में सभी लोकतांत्रिक मानदंडों, रीति-रिवाजों और प्रक्रियाओं को ताक पर रख दिया गया। सरकार ने उन्हें इस मामले में ना सूचना दी और ना ही सलाह ली।
चौधरी का दावा है कि उन्हें मीटिंग के बारे बताया गया था लेकिन फिर वह स्थगित हो गई और बाद में उसकी तारीख बदल दी गई। समिति में प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और पीएम द्वारा नामित एक केंद्रीय मंत्री होता है।