इस रिपोर्ट के मुताबिक भारत के ओखा, भावनगर (गुजरात), मोरमुगाओ, मुंबई, मैंगलोर, चेन्नई, विशाखापट्टनम, तूतीकोरन, कोच्चि, पारा दीप और पश्चिमी बंगाल के किडरोपोर के पानी में डूबने की आशंका है। पश्चिम बंगाल का किडरोपोर इलाके में पिछले साल तक समुद्री जलस्तर बढ़ने का कोई खतरा महसूस नहीं हुआ, वहां पर भी 2100 तक आधा फुट बढ़ जाएगा।
धरती का क्षेत्रफल भी घटेगा : रिपोर्ट में नासा के एडमिनिस्ट्रेटर बिल नेल्सन ने कहा है कि सी लेवल प्रोजेक्शन टूल दुनियाभर के नेताओं, वैज्ञानिकों को यह बताने के लिए पर्याप्त है कि अगली सदी तक दुनिया के कई देशों का जमीनी क्षेत्रफल सिकुड़ जाएगा। उनका मानना है कि समुद्री जलस्तर इतनी तेजी से बढ़ेगा कि उसे संभालना मुश्किल होगा। उल्लेखनीय है कि कई द्वीप डूब भी चुके हैं। भविष्य में भी कई अन्य द्वीपों को भी समुद्र निगल जाएगा।
पर्यावरण विशेषज्ञों की मानें तो जो बदलाव 100 साल में देखने को मिल रहे थे, वे अब 10-20 सालों में ही देखने को मिल रहे हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि इससे जो भी नुकसान होगा, उसकी भरपाई नहीं हो पाएगी।