मध्यप्रदेश में कफ सिरप कोल्ड्रिफ़ पीने से 16 बच्चों की मौत के मामले ने पूरे देश को हिला के रख दिया है। इस घटना के बाद पूरे मेडिसिनल प्रक्रिया के साथ ड्रग के धंधे में सक्रिय मेडिसिन माफिया पर भी सवाल उठ रहे हैं राजस्थान और मध्य प्रदेश में हुई मौतों के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने कफ सिरप की जांच तेज कर दी है। लखनऊ में 20 से अधिक दवा कंपनियों के 196 नमूने परीक्षण के लिए भेजे गए हैं। ये नमूने डाइथिलीन ग्लाइकाल और प्रोपलीन ग्लाइकाल की जाँच के लिए हैं। सरकारी अस्पतालों में बच्चों को कफ सिरप नहीं दी जाती बल्कि एंटीबायोटिक दवाएं दी जाती हैं।
इस कॉम्बिनेशन के नमूने लिए : बता दें कि सरकार के कड़े निर्देश पर सोमवार को खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन (एफएसडीए) विभाग ने 20 से अधिक दवा कंपनियों की कफ सिरप के 196 नमूने लिए। एफएसडीए विभाग के अधिकारियों के अनुसार बच्चों को दिए जाने वाले इन कफ सिरप के नमूने डाइथिलीन ग्लाइकाल और प्रोपाइलिन ग्लाइकाल की जांच के लिए भरे गए हैं। सभी नमूनों की जांच लखनऊ की प्रयोगशाला में की जाएगी।
इन शहरों से लिए नमूने : पड़ोसी राज्यों में कोल्ड्रिफ सिरप से बच्चों की मौत के बाद प्रदेश में शुरू हुए जांच अभियान में कहीं भी कोल्ड्रिफ सिरप बिकता नहीं मिला लेकिन तमिलनाडु की श्रीसन फार्मा, याका लाइफ साइंसेज, एपल फार्मुलेशन सहित 20 से अधिक कंपनियों के कफ सिरप मिले हैं। लखनऊ मंडल के जिलों से कफ सिरप के 29 नमूने लिए गए हैं। इसके अलावा आगरा से 15, मेरठ से 25, झांसी से 20 नमूने लिए गए हैं। औषधि निरीक्षकों ने थोक विक्रेताओं के पास भी कफ सिरप के भंडारण की जांच की है। सोमवार देर रात तक नमूने लिए जा रहे थे। औषधि नियंत्रक शशि मोहन का कहना है कि सभी नमूने लखनऊ आते ही जांच की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी।
गौरतलब है कि राजस्थान और मध्य प्रदेश में खांसी-जुखाम से पीड़ित बच्चों को दिए गए कोल्ड्रिफ सिरप में प्रतिबंधित डाइथिलीन ग्लाइकाल की मात्रा 48.6 प्रतिशत पाई गई थी जबकि दवा निर्माण के मानकों के अनुसार कफ सिरप में डाइथिलीन ग्लाइकाल 0.10 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
सरकारी अस्पतालों में बच्चों को नहीं दी जाती कफ सिरप : प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में बच्चों को कफ सिरप नहीं दिया जाता है। महानिदेशक चिकित्सा स्वास्थ्य डॉ रतन पाल सिंह सुमन ने बताया कि सरकारी अस्पतालों में पांच वर्ष तक के बच्चों को खांसी-जुखाम के इलाज के लिए कफ सिरप देने के बजाय एंटीबायटिक दी जाती है। यूपी मेडिकल सप्लाई कारपोरेशन लिमिटेड (यूपीएमएससीएल) के प्रबंध निदेशक उज्ज्वल कुमार ने बताया कि कोल्ड्रिफ सहित बच्चों के लिए किसी भी तरह के कप सिरप की आपूर्ति सरकारी अस्पतालों में नहीं की जाती है।
इंडियन फार्माकोपिया के मानक से होगी सिरप की जांच प्रदेश में एफएसडीए ने कफ सिरप के जो नमूने लिए हैं, उनकी जांच इंडियन फार्माकोपिया के मानक से होगी। एफएसडीए की राजकीय जनविश्लेशक प्रयोगशाला में जांच के लिए दवा कंपनी के मानक या फिर फार्माकोपिया के मानक का इस्तेमाल किया जाता है। ये मानक दवाओं के अनुसार तय होते हैं।
इस बार फार्माकोपिया से मानक मंगाए जाएंगे, इसके बाद सिरप के नमूनों की जांच शुरू होगी। एफएसडीए से मिली जानकारी के अनुसार इस वर्ष अप्रैल से सितंबर तक 6100 से अधिक दवा के नमूनों की जांच की जा चुकी है, जिनमें से 15 अधोमानक मिले हैं। गड़बड़ी करने वाली कंपनियों को नोटिस भेजा गया है।
Edited By: Navin Rangiyal