उसने कहा, ‘अगर टिकट लाकडाउन की पहली अवधि जो कि 25 मार्च से 14 अप्रैल थी, के दौरान बुक किए गए और इन टिकटों पर यात्रा पहले और दूसरे लाकडाउन की अवधि के दौरान की जानी थी, जो कि 25 मार्च से 3 मई थी तो ऐसे मामलों में एयरलाइंस द्वारा तुरंत पूरी राशि का भुगतान किया जाएगा क्योंकि एयरलाइंस से इस अवधि के लिए टिकटें नहीं बुक करने की उम्मीद की गई थी।’
गत 12 जून को शीर्ष अदालत ने एनजीओ ‘प्रवासी लीगल सेल’ की एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान केन्द्र, डीजीसीए और एयरलाइनों को कोविड-19 लॉकडाउन के बाद रद्द की गई घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों के लिए पूरे किराए का भुगतान करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने को कहा था।
विमानन नियामक ने अपने हलफनामे में कहा है कि अगर एयरलाइंस वित्तीय संकट के कारण राशि वापस नहीं कर पाती हैं, तो वे एकत्र किए गए किराए के बराबर ‘क्रेडिट शेल’ प्रदान करेंगे और यह प्रत्यक्ष या ऑनलाइन समेत एजेंट के माध्यम से टिकट बुक कराने वाले यात्री के नाम पर जारी किया जाएगा।