उन्होंने कहा कि यदि इस मामले में फंसे उसके 20 विधायक उसी समय अयोग्य करार दे दिए गए होते तो वे राज्यसभा में चुनाव में वोट नहीं दे सकते थे। आप के अंदर जिस कदर फूट और असंतोष है, ऐसा होने पर पार्टी टूट गई होती।
माकन ने सवाल किया कि 22 दिसंबर को राज्यसभा की 3 सीटों के चुनाव की घोषणा हो चुकी थी, लेकिन आयोग ने आप के तीनों प्रत्याशियों के निर्विरोध चुने के बाद लाभ के पद मामले में अपनी सिफारिश राष्ट्रपति को भेजी। उन्होंने आरोप लगाया कि 19 जनवरी तक फैसला लटकाकर भाजपा और आयोग ने मिलकर 'आप' की मदद की है। (वार्ता)